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गुरुवार को डभरा से एक मरीज सीधे एमसीएच पहुंचा। हालत गंभीर थी, उसने कोविड डेडिकेटेड अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया। यहां आने से पहले वह दो तीन अस्पतालों में गया था लेकिन उसे बेड नहीं मिला। एनएचएम की डीपीएम भावना महलवार ने इसकी पुष्टि की है। जांजगीर स्वास्थ्य विभाग से कहा भी गया है कि वहां के मरीजों का इलाज वहीं कराएं।
प्रदेश में स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि राजधानी रायपुर में बेड नहीं मिल रहे हैं तो पिछले चार दिनों में पांच से अधिक मरीज रायगढ़ के असपतालों में भर्ती हुए हैं। हम बताना इसलिए जरूरी है ताकि लापरवाही बरतने से पहले यह ध्यान रखें कि संसाधन कम हैं। कोरोना का नया वायरस सीधे फेफड़े पर असर कर रहा है। कोविड-19 हॉस्पिटल में अब ज्यादा ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जिन्हें सांस लेने में गंभीर समस्या है।
अस्पताल में आईसीयू फुल हैं। तीन हफ्ते पहले गंभीर मरीज 4 थे लेकिन अब 80 ऐसे मरीज हैं जो अधिक से कम गंभीर (सीवियर से मोडरेट) वाली श्रेणी के हैं। गंभीर मरीजों को प्रति मिनट 60 से 70 लीटर तक ऑक्सीजन लग रही है। गुरुवार को मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों के लिए 100 बिस्तरों की शुरुआत की गई। 100 पहले शुरू किए गए थे। 15 मार्च तक मरीजों की संख्या 20 से 25 थी अब 150 मरीज हैं। एमसीएच के आईसीयू में मरीज बढ़े हैं, अस्पताल में प्रतिदिन 5 से भी कम सिलेंडर लगते थे अब खपत 130 सिलेंडर की है।
ऑक्सीजन की सप्लाई और खपत
अस्पताल में बेड की कमी ना हो, अब तैयारी में लगे
अस्पताल में इस वक्त कोविड के लिए 200 बेड उपलब्ध है। इसी तरह नॉन ऑक्सीजनेटेड कोविड 350 बेड हैं। नए स्ट्रेन के कोरोना में लोगों को सांस लेने में ही काफी समस्या आ रही है। इसलिए बेड्स की संख्या बढ़ाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार बैठकें कर रहा है। ताकि भविष्य में उन्हें कोई परेशानी ना हो। पिछले साल न केवल रायगढ़ बल्कि सारंगढ़ में भी आइसोलेशन सेंटर की व्यवस्था की गई थी। संक्रमण कम हुआ तो सेंटर बंद कर दिए गए थे।
हमारे पास ऑक्सीजन की कमी नहीं है
तीन हफ्ते पहले तक मरीजों की संख्या 4 थी। अब बढ़कर 80 पहुंच गई है। ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है लेकिन हमारे पास ऑक्सीजन की कमी नहीं है।''
-डॉ. आनंद मसीह लकड़ा कोविड हॉस्पिटल
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