छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सहायक आरक्षकों के पुलिस परिवार आंदोलन की राह पर हैं। रायपुर में प्रदर्शन के दौरान बीजापुर से शामिल होने के लिए जा रहे परिवारों को रविवार देर रात थाने के बाहर ही रोक लिया गया। इसके बाद से करीब 22 घंटे से परिवार की महिलाएं अपने बच्चों को लेकर वहां बैठी हुई हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रही हैं। अफसरों का कहना है कि सरकार ने मांगों को मान लिया है। हम उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, जिले के भैरमगढ़ से अपनी मांगों लेकर एक बार फिर रायपुर के लिए पुलिस परिवारों ने रात करीब 8 बजे कूच किया। वह आगे बढ़ रहे थे, लेकिन सूचना मिलने पर SP कमल लोचन कश्यप के आदेश पर उन्हें भैरमगढ़ थाने के बाहर रोक लिया गया। इसके बाद से भी प्रदर्शनकारी वहीं पर बैठे हुए हैं। उन्होंने थाने के बाहर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया है और नारेबाजी कर रहे हैं। इसमें 60 से अधिक सहायक आरक्षकों के परिवार शामिल हैं।
पूर्व वन मंत्री पहुंचे परिवारों से मिलने
पुलिस परिवारों के इस आंदोलन को अब राजनीतिक रंग भी मिलने लगा है। थाने के बाहर रोके जाने की जानकारी मिलने पर पूर्व वनमंत्री महेश गागड़ा थाने पहुंच गए। वहां उन्होंने सहायक आरक्षकों के परिवार से मुलाकात की और उनकी मांगों को जायज बताया। साथ ही कहा कि सरकार उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे। इस दौरान पूर्व वन मंत्री ने पुलिस परिवारों के लिए भोजन की भी व्यवस्था कराई।
समान वेतनमान, पदोन्नति और पेंशन को लेकर है आंदोलन
समान वेतनमान, पदोन्नति और पेंशन आदि सुविधाओं की मांग को लेकर पुलिस परिवार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले माह भी बीजापुर जिले से परिवार के लोगों ने रायपुर में धरना-प्रदर्शन किया था। हालांकि इस दौरान हुए हंगामे और पुलिस अफसरों के समझाने के बाद एक माह के लिए आंदोलन स्थगित कर दिया था। अब फिर मांगे पूरी नहीं होने की बात को कहते हुए उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया है। इसी को लेकर रायपुर जाने के लिए निकले थे।
सरकार ने मांगे मानी, रायपुर जाने का औचित्य नहीं
बीजापुर पुलिस अधीक्षक कमलोचन कश्यप का कहना है कि सहायक आरक्षकों की सभी मांग सरकार की ओर से मान ली गई है। हम उनके परिजनों को रोककर समझा रहे हैं की मांगे पूरी होने के बाद वहां न जाएं। वैसे भी कोरोना वायरस की तीसरी लहर के समय रायपुर जाने का कोई औचित्य नहीं है।
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