छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के नक्सलगढ़ सिलगेर और गलगम के ग्रामीणों को राहत पहुंचाने अब जल्द ही यात्री बसों का संचालन शुरू किया जाएगा। इससे पहले इन दोनों इलाकों में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सड़क निर्माण का काम चल रहा है, जो अंतिम चरण पर है। बताया जा रहा है कि सड़क निर्माण का काम पूरा होते ही इलाके में बसें दौड़ने लगेंगी। इससे नक्सलगढ़ के लोग सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ पाएंगे। कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा और SP कमलोचन कश्यप ने निर्माण कार्यों का जाएजा भी लिया है।
सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर स्थित सिलगेर गांव पूरी तरह से माओवादियों का गढ़ है। लगभग 8 महीने पहले यहां सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया है। कैंप के विरोध में ग्रामीण यहां आज भी बैठे हुए हैं। इसी तरह गलगम गांव भी पूरी तरह से संवेदनशील है। इन दोनों गांवों की दूरी बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 70 से 80 किमी की है। सड़क निर्माण के बाद यदि इन दोनों गांवों तक यात्री बसें चलती है तो इलाके की एक बड़ी आबादी को इसका सीधा फायदा मिलेगा। ग्रामीणों को पैदल सफर तय नहीं करना पड़ेगा। अब तक ग्रामीण जिला मुख्यालय तक पैदल ही सफर करते थे।
बसों का संचालन करवाने बनाई गई है कमेटी
बीजापुर के कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा ने दैनिक भास्कर को बताया कि, सिलगेर और गलगम तक बसों का संचालन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ने रूट चार्ट भी बनाया है। इलाके में सड़क निर्माण का काम पूरा होते ही बस चलने लगेगी। लगभग सप्ताह भर का समय और लगेगा। यात्रियों के लिए किराया प्राइवेट बसों के किराया से कम ही होगा। इन दोनों इलाके के लोगों को एक बड़ी राहत मिलेगी।
कई किमी का पैदल सफर तय करते हैं ग्रामीण
क्षेत्रफल की दृष्टि से बीजापुर जिला काफी बड़ा है। साथ ही कई ऐसे इलाके हैं जो आज भी नक्सलियों के कब्जे में हैं। कई गांवों तक पहुंचने पक्की सड़क भी नहीं हैं। जिन इलाकों में सड़क बनी हैं, तो वहां नक्सली दहशत की वजह से कोई भी प्राइवेट बसें नहीं चलती हैं। ऐसे में जिले के अंदरूनी गांव के ग्रामीणों को कई किमी का पैदल सफर तय कर ब्लॉक और जिला मुख्यालय आना पड़ता है।
कुछ महीने पहले इन इलाकों में सिटी बसें हुईं थी शुरू
बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके आवापल्ली, बेचापाल, मिरतुर, भैरमगढ़, नैमेड़ और तारलागुड़ा इस रुट में सिटी बस चलनी शुरू हो गई है। इनमें से कई इलाके ऐसे हैं जहां नक्सल दहशत की वजह से कोई भी सवारी वाहनें नहीं चलती थी। तात्कालीन कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल और विधायक विक्रम मंडावी ने 6 सिटी बसों को इन सड़कों पर उतारा था। इससे ग्रामीणों की राह आसान हुई है।
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