जिले के उसूर से बीजापुर आ रही कुशवाह ट्रेवल्स की बस में गोली चलने से एक सीआरपीएफ के जवान की मौत हो गई और एक जवान घायल हो गया। दोनों जवान छुट्टी पर घर जाने के लिए बस में सवार हुए थे। हादसे के बाद थोड़ी देर के लिए पूरे संभाग में माहौल गर्म हो गया था और घटना के तत्काल बाद लोग इसे नक्सली हमला समझ रहे थे हालांकि कुछ देर में स्थिति स्पष्ट हो गई और पता चला कि गोली बस में ही सवार जवान की बंदूक से ही चली थी।
बस में सिर्फ एक ही गोली चली इसी से एक जवान की मौत हो गई वहीं एक जवान घायल हो गया। गोली नीचे बैठे जवान के सिर को चीरते हुए बस की बॉडी से टकराई और ऊपर की सीट पर लेटे जवान को लगी जो घायल हो गया। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि सीआरपीएफ के 229 गलगम कैंप में तैनात एफ कंपनी के प्रधान आरक्षक त्रिलोक सिंह (36) और 196 बटालियन की ई-कंपनी के हवलदार राजेन्द्र घायल अवकाश पर घर जा रहे थे। इनके साथ कुछ अन्य जवान भी थे।
सभी जवान कुशवाह ट्रेवल्स की बस में उसूर से सवार हुए थे बस जैसे ही आवापल्ली के पास पहुंची तो अचानक गोली चलने की आवाज आई। पहले किसी को कुछ समझ नहीं आया और लोगों को लगा कि नक्सली हमला हो गया। इसके कुछ ही देर बाद स्थिति साफ हो गई। गोली चलने से प्रधान आरक्षक त्रिलोक की मौत हो गई जबकि हवलदार राजेंद्र घायल हो गया। मृतक जवान हरियाणा का रहने वाला था।
जवान की मौत के बाद उनका शव का बीजापुर जिला हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम करवाया गया है और शव घर के लिए रवाना कर दिया गया है। आईजी ने बताया कि जवान राजेंद्र को गोली से मामूली चोट लगी है और अभी वह स्वस्थ और खतरे से बाहर है।
ऊपर की सीट पर लेटे जवान को ज्यादा चोट नहीं
बस में सिर्फ एक ही गोली चली पुलिस के अनुसार गोली प्रधान आरक्षक के सिर पर लगी वह बस में नीचे की सीट पर बैठा हुआ था। इसके बाद गोली सिर से बाहर निकलकर बस की चादर से टकराई और ऊपर सीट पर लेटे हुए दूसरे जवान राजेंद्र को जा लगी, हालांकि राजेंद्र को ज्यादा चोट नहीं पहुंची हैं।
भास्कर तत्काल: छुट्टी से आने-जाने वाले जवानों के लिए विशेष सुविधा नहीं
बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात जवानों के लिए छुट्टी पर कैंप से घर जाने और घर से वापस कैंप आने के लिए नियमित तौर पर कोई विशेष सुविधा सरकार की ओर से नहीं दी गई है। ज्यादातर जवानों को जब छुट्टी मिलती है तो वे समय बचाने के लिए खुद ही सार्वजनिक परिवहन में चलने वाली गाड़ियों का उपयोग करते हैं। हालांकि अफसरों का कहना है कि छुट्टी पर जाने और छुट्टी से आने वाले जवानों के लिए एक व्यवस्था है जिसमें जवान को संभाग मुख्यालय पहुंचने के बाद अपनी पार्टी के कैंप में जाना होता है।
यहां से जब रसद या कोई अन्य सामान पहुंचाने के लिए जवानों की पार्टी निकलती है तो जवान इसमें शामिल होकर अपने कैंप तक पहुंच सकते हैं। हालांकि जवानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संभाग मुख्यालय, जिला मुख्यालय के बेस कैंपों से निकलने वाली पार्टियों का कोई समय निश्चित नहीं होता है।
कई बार पार्टी तत्काल निकल जाती हैं तो कई बार दो से चार दिन का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में छुट्टी पर जाने वाले जवान दिन बचाने और छुट्टी से वापस आने वाले जवान तय समय पर अपने कैंप पहुंचने के लिए सार्वजनिक साधनों का ही इस्तेमाल करते हैं। कुछ चुनिंदा मामलों में कई बार छुट्टी पर जाने वाले जवानों को हेलीकॉप्टर के जरिये जिला या संभाग मुख्यालय पहुंचाया जाता है लेकिन इस तरह के गिनती के मामले ही होते हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.