दक्षिण बस्तर के नक्सली अनाज, दवाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां संगठन की सप्लाई चेन बेहद कमजोर पड़ गई है। अब बड़े नक्सली लीडर्स आंध्रप्रदेश के सप्लाई चेन से संपर्क कर वहां से अनाज, दवाएं मंगवा रहे हैं। नक्सलियों ने कोरोना वैक्सीन भी वहीं से मंगवाकर लगवाई है। इसका खुलासा गुरुवार को दंतेवाड़ा पुलिस के सामने सरेंडर करने के बाद नक्सली पोज्जा और उसकी पत्नी लक्खे ने किया।
भास्कर से बातचीत में इस सरेंडर नक्सली दंपती ने बताया कि नक्सलियों को पहले राशन, दवाएं, दैनिक उपयोग के सामान आसानी से मिल जाते थे। पिछले करीब डेढ़ साल से सप्लाई चेन बहुत ही कमजोर पड़ गई है। जगह-जगह सुरक्षा बलों के कैंप, पुलिस की जांच और अंदरुनी गांवों में बने पुलिस के मुखबिरों ने सिरदर्द बढ़ा दिया है।
पुलिस के दबाव के कारण अब जंगल में नक्सलियों तक सामान नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में बड़े नक्सली आंध्रप्रदेश से सामान मंगवा रहे हैं। इन कमियों के कारण कई नक्सली संगठन छोड़ना चाहते हैं। अब सरेंडर के बाद नक्सलियों के इस खुलासे से पुलिस को अहम जानकारियां मिली हैं। इसी के आधार पर पुलिस आगे की जांच कर रही है।
छत्तीसगढ़ से जो सामान मिल रहा, उसमें जहर की आशंका
इस नक्सल दंपती ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ से थोड़े बहुत सामान पहुंच भी रहे हैं तो अनाज में जहर की आशंका से बड़े नक्सल लीडर भयभीत हैं। उन्हें इस बात का भय है कि कहीं जहर मिलाकर पुलिस ही न भेज दे। नक्सल दंपती ने बताया कि नक्सल संगठन में वैक्सीनेशन भी हो रहा है। इन्हें आंध्रप्रदेश से ही कोरोना वैक्सीन की सप्लाई की जा रही है। कई नक्सलियों ने दोनों डोज भी लगा ली है।
कोर इलाके में कैंप खुलने से नक्सली परेशान
दक्षिण बस्तर में नक्सलियों के कोर इलाके में खुले कैंप इनका सिर दर्द बढ़ा रहे हैं। बीजापुर के तर्रेम, दंतेवाड़ा के पोटाली, चिकपाल, कमारगुड़ा जैसे कई इलाकों में नक्सलियों की बजाए अब सुरक्षा बलों की पैठ बढ़ी है। ये वो इलाके हैं जो नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना रहे हैं।
हिड़मा के आदेश पर 10 गांव में तीन-तीन मुखबिर बनाए, 450 नक्सलियों ने जवानों पर बोला हमला
सरेंडर नक्सल प्लाटून-9 का कमांडर पोज्जो उर्फ संजू और डीवीसी सुरक्षा दलम कमांडर लक्खे उर्फ तुलसी ने बताया कि 2021 का टीसीओसी शुरू होते ही दक्षिण बस्तर के जंगलों में नक्सलियों की बड़ी मीटिंग हुई। इस बार फिर बड़े हमले की रणनीति बनी और सबको अलग-अलग जिम्मेदारी मिली। नक्सली लीडर हिड़मा, रघु, सुजाता का सख्त आदेश था कि इस बार बड़ा हमला करना है।
फिर 10 गांवों में 3-3 मुखबिर तैयार किए गए, जिन्हें जिम्मेदारी दी गई कि जैसे हिड़मा के आदेश पर 450 नक्सलियों की फौज तैयार हुई। इसमें 35 जनमिलिशिया थे, जबकि बाकी अलग-अलग कैडर के जवानों की टीम टेकलगुड़ा-जीराम गांव पहुंची तो 450 नक्सलियों ने जवानों को घेर फायरिंग शुरू कर दी। घटना में 22 जवानों की शहादत हुई थी।
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