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गंगरेल बांध प्रभावित जन कल्याण समिति ने गुरुवार को कलेक्टोरेट में विस्थापित परिवारों को जमीन आबंटन करने की मांग की। अध्यक्ष महेंद्र उइके, उपाध्यक्ष महराजी ध्रुव, सचिव गणेशराम खापर्डे, गैंदलाल टेकाम, उमेंदराम ध्रुव, भुनेश्वर मेश्राम, परीक्षित ध्रुव, सुखीत कुंजाम आदि ने बताया कि गंगरेल बांध डूब में आने के कारण जल संसाधन सिंचाई विभाग द्वारा मुआवजा राशि देकर भूमि अधिग्रहण कर लिया गया। तब से सभी लोग व्यवस्थापन, मुआवजा राशि व अन्य मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे। कई बार धरना प्रदर्शन, आमरण अनशन, भूख हड़ताल, जल सत्याग्रह करने के बाद शासन-प्रशासन द्वारा लिखित में आश्वासन देने बाद भी हमारे हित में काम नहीं किए गए। इससे निराश होकर विस्थापित परिवारों ने वर्ष 2007 में 866 लोगों द्वारा गंगरेल बांध जन कल्याण समिति में सदस्यों का पंजीकृत संघ बनाकर व्यवस्थापन व मुआवजा राशि की मांग को लेकर वर्ष 2008 में उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर की। 15 वर्षों की लड़ाई के बाद न्यायालय ने व्यवस्थापन मुआवजा राशि देने गंगरेल बांध प्रभावित जन कल्याण समिति से जुड़े हुए सदस्यों के लिए आदेश पारित किया है। सभी परिवारों को जल्द जमीन का आबंटन किया जाए।
इन गांवों से आए लोग
ग्राम भानपुरी, भंवरमरा, सलोनी, सियादेही, माकरदोना, झुरातराई, बरबांधा, डोंगरीपारा, बाजार कुर्रीडीह, पिपरछेड़ी, झीपाटोला, सुरही, बनबगौद, साल्हेभाट समेत 20 गांवों के लोग कलेक्टोरेट पहुंचे।
उमेंदराम ध्रुव, पुषोत्तम, भुनेश्वर मेश्राम, तुलसीराम नेताम, सतऊराम नेताम, बंशीराम सोरी, छगनलाल आदि ने कहा कि जहां निवास कर रहे उसी गांव व आसपास के गांवों में व्यवस्थापन किया जाए। डूब प्रभावित परिवारों को सलोनी, कुसुमभर्री, देवभर्री, ठेल्काभर्री, बोईरगांव, छुहीभर्री, धौराभाठा, कोरगांव, कनडबरा आदि में व्यवस्थापन कर जल्द जमीन दिलएं।
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