छत्तीसगढ़ में बस्तरवासी राजधानी रायपुर को जगदलपुर से रेल मार्ग के माध्यम से जोड़ने के लिए रेल पदयात्रा पर निकले हुए थे, जिसका मंगलवार को अंतिम दिन है। 3 अप्रैल को अंतागढ़ से निकली यह पदयात्रा आज 12 अप्रैल को जगदलपुर पहुंच कर खत्म हुई है। करीब 10 दिनों में आंदोलन में शामिल लोगों ने 173 किमी की दूरी तय की। शहर की सीमा में प्रवेश करते ही सैकड़ों लोगों ने इस रेल आंदोलन में शामिल लोगों का भव्य रूप से स्वागत किया है। स्कूली बच्चों ने तालियां बजाई, नाच-गान करके स्वागत किया गया।
जगदलपुर पहुंचने के बाद पदयात्रा में शामिल लोग मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने सभा में शामिल हुए हैं। इसमें बस्तर संभाग के करीब 73 समाज के लोग विभिन्न संघ-संगठन के लोग भी शामिल हैं। यहीं पर प्रशासन और रेलवे के कर्मचारियों को मांग पूरा करने के लिए ज्ञापन भी सौंपेंगे। पदयात्रा में शामिल लोगों ने कहा कि, यदि मांग पूरी नहीं की जाती है तो फिर इस आंदोलन का दूसरा चरण शुरू करेंगे। इससे पहले सरकार और रेलवे विभाग को मांग पूरी करने के लिए 2 महीने का समय देंगे। फिर भी यदि मांग पूरी नहीं होती है तो रेल रोकने की तैयारी की जाएगी।
अभी पदयात्रा, बाद में होगी रेल यात्रा- पद्मश्री धर्मपाल सैनी
रेल आंदोलन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री धर्मपाल सैनी ने कहा कि अभी हमारा नारा पदयात्रा है, बाद में यह रेल यात्रा होगा। उन्होंने कहा कि बस्तर के ग्रामीण अंचल के लोग भी चाह रहे हैं कि उनकी सुविधा के लिए रेल लाइन का विस्तार हो। रायपुर को जगदलपुर से रेल मार्ग के माध्यम से जोड़ने के लिए बस्तर के लोग पिछले कई सालों से यात्री ट्रेन की मांग कर रहे हैं। सरकार ने आश्वासन भी दिया था। लेकिन अब तक कोई कवायद शुरू नहीं हुई है।
रायपुर से अंतागढ़ तक बिछी पटरियां, आगे नहीं हुआ काम शुरू
रेल आंदोलन में शामिल लोगों का कहना है कि रायपुर से केवल अंतागढ़ तक ही पटरियां बिछाई गईं है। अनुबंध के अनुसार साल 2022 तक जगदलपुर तक काम पूरा कर लिया जाना था। लेकिन, अंतागढ़ से आगे जगदलपुर तक पटरी बिछाने का काम शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में बस्तर के लोगों को सरकार ने धोखे में रखा है। रेल आंदोलन के सदस्यों ने कहा कि, रेलवे को हर साल बस्तर से ही लौह अयस्क के जरिए करोड़ों रुपए की कमाई होती है। बावजूद इसके रेल मार्ग के माध्यम से जगदलपुर को बड़े नगरों से नहीं जोड़ा गया है और न ही रेल सुविधाओं का विस्तार किया गया।
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