पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहली बार शांति का संदेश देने पदयात्रा पर निकले जैन समाज तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें संत आचार्य महाश्रमण मुनि गुरुवार को जगदलपुर ब्लाक के केशलूर पहुंचे। जहां पर जैन समाज के लोगों ने उनका स्वागत किया। सुकमा और दंतेवाड़ा से होते हुए यह यात्रा संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से करीब 15 किमी दूर पहले रुकी। अहिंसा परमो धर्म: की भावना से िनकाली गई इस यात्रा में महाश्रमण और अन्य मुनि गुरुवार की सुबह मावलीभाटा से करीब 15 किमी चलकर केशलूर पहुंचे थे। जैन मुनि ने अहिंसा यात्रा नवंबर 2014 को दिल्ली के लाल किले से शुरुआत की। वह 19 राज्य घूमने के बाद छत्तीसगढ़ में पहुंचे हैं। इस यात्रा के माध्यम से जैन मुनिश्री महाश्रमण सद्भावना, नैतिकता व अंहिसा का संदेश दे रहे हैं। समाज के लोगों ने बताया कि उनके संदेश से प्रभावित होकर करीब एक करोड़ लोग नशामुक्ति का संकल्प ले चुके हैं। लोगों ने कहा कि महाश्रमण ने इस यात्रा करने के तीन उद्देश्य बताए हैं। जिसमें अहिंसा, सद्भावना और नैतिकता प्रमुख है। वह यात्रा के दौरान जगह-जगह व्याख्यान देकर युवाओं को अहिंसा की भावना को लेकर काम करने के लिए प्रेरित कर रहे है। दूसरा, नैतिकता जहां तक हो सके ईमानदारी बरतें और पूरा काम ईमानदारी से करें। तीसरा संदेश सद्भावना मतलब नशामुक्ति जैसे सिगरेट, शराब व नशेली पदार्थों के सेवन से बचें। आचार्य का आशीर्वाद लेने प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मंत्री केदार कश्यप समेत सभी समाज प्रमुखों व अन्य लोग केशलूर पहुंचे थे। गौरतलब है कि आचार्य शुक्रवार के जगदलपुर पहुंचेंगे। यहां पर सबसे पहले उनका स्वागत गीदम रोड स्थित कृष्णा पेट्रोल पंप के पास किया जाएगा। इसके बाद उनका प्रवचन शहर के निर्मल विद्यालय में होगा। इससे पहले गुरूवार की देर शाम वे केशलूर से पैदल चलकर डिमरापाल पहुंचेंगे जहां माता रूकमणी आश्रम में रुकेंगे।
बस्तर में हिंसा का कोई स्थान नहीं, नक्सल समस्या का समाधान बातचीत से ही संभव है: मुनि श्रमण
सुकमा से लेकर कोंटा और बस्तर को जिस तरह से देश के सामने रखा जा रहा है। स्थिति वैसी नहीं है। बस्तर प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण है। इस वातावरण में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। यह बात अहिंसा यात्रा के प्रवक्ता आचार्य मुनि श्रमण ने कही। उन्होंने कहा कि बस्तर में नशा करने वाले लोगों की संख्या अधिक है। इसे खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि आचार्य महाश्रमण का मानना है कि कोई भी व्यक्ति हिंसा के रास्ते पर नहीं चलना चाहता है। उन्हें कुछ लोग जानबूझकर गलत रास्ते पर ले जाते हैं। लोगों को हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति के मार्ग पर चलने का संदेश दिया जा रहा है। महाश्रमण के कहने पर अब तक सैकड़ों लोग नशा छोड़ चुके है। ओसवाल जैन श्वेतांबर समाज के अध्यक्ष भंवर बोथरा ने बताया कि नेपाल में की गई अहिंसा यात्रा के सफल होने पर नेपाल सरकार ने अहिंसा यात्रा पर डाक टिकट जारी किया है। जैन साधु पांच नियमों के पालन कराने को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इन नियमों में अहिंसा, सत्य अचौर्य , ब्रहमचर्य और अपरिग्रह शामिल है।
पॉजिटिव- आज आपकी प्रतिभा और व्यक्तित्व खुलकर लोगों के सामने आएंगे और आप अपने कार्यों को बेहतरीन तरीके से संपन्न करेंगे। आपके विरोधी आपके समक्ष टिक नहीं पाएंगे। समाज में भी मान-सम्मान बना रहेगा। नेग...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.