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नगरनार स्टील प्लांट में नौकरी नहीं मिलने से हताश प्रभावित किसान परिवारों की 71 बेटियों ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक से मुलाकात की और उनसे नौकरी दिलाने की मांग की। बेटियों ने कहा कि पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर हिस्सेदारी मिलने के बाद स्टील प्लांट के लिए जमीन का अधिग्रहण कर मुआवजा राशि दी गई, लेकिन रोजगार देने में एनएमडीसी आनाकानी कर रहा। महिला उत्पीड़न की सुनवाई करने पहुंचीं नायक ने मौके पर मौजूद एननएमडीसी स्टील प्लांट के ईडी प्रशांत दास से बात की। उन्होंने कहा कि पुनर्वास नीति के तहत प्रभावित किसानों को नौकरी देने की बात कही गई थी। दास ने कहा कि प्रबंधन ने पुनर्वास नीति का हवाला देते हुए नियमानुसार नौकरी देने की दलीलें देते हुए बेटों को ही खातेदार बताने की बात कही। इसके बाद भी अध्यक्ष ने दास से पूछा कि नौकरी देने में बेटियों के साथ भेदभाव क्यों िकया जा रहा है। जिस पर एननएमडीसी प्रबंधन के ईडी ने कोई जवाब नहीं दिया। आगामी सुनवाई 18 जनवरी को होगी। नायक ने कहा छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार के ऊपर नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान लिंगभेद की अनुमति प्रदान नहीं करता है और किसी भी कानून में लिंगभेद को न तो मान्यता दी गई है न ही बेटे या बेटी में फर्क किया गया है। गौरतलब है कि पुश्तैनी जमीन के बदले नौकरी के लिए अपील करने वाली 103 बेटियां हैं। इनमें 71 बेटियों ने शिकायत दर्ज कराई थी। सुनवाई के दौरान योगिता, फुलमती बघेल, गरिमा मसीह, अरूणा पटनायक, ममता सेठिया, ऊषा, बसंती, अंजुषा पटेल, मनमती सेठिया आदि मौजूद थे।
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