छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर जिले की सरहद पर स्थित सिलगेर में कैंप के विरोध में एक बार फिर ग्रामीण लामबंद हुए हैं। इस बार ग्रामीणों की संख्या थोड़ी कम है। ग्रामीणों ने एक तरफ जहां पुलिस कैंप को हटाने की मांग की है तो वहीं दूसरी तरफ बस्तर IG सुंदरराज पी और बीजापुर SP कमलोचन कश्यप को सजा देने की मांग भी की है। सिलगेर में कैंप के विरोध में पिछले 134 दिनों से ग्रामीणों का आंदोलन जारी है। बुधवार से आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है।
कोरोना प्रकोप के चलते ग्रामीण जून के दूसरे सप्ताह में आंदोलन स्थल से वापस घर लौट गए थे। अपनी मांगों को लेकर लगातार सरकार से गुहार लगा रहे थे। बुधवार को एक बार फिर से यहां ग्रामीणों की भीड़ इकठ्ठा होनी शुरू हुई। सिलगेर व इसके आसपास के केवल 1-2 गांव के ही ग्रामीण कैंप का विरोध करने के लिए पहुंचे हुए हैं। गुरुवार को भी ग्रामीणों का आंदोलन जारी है। ग्रामीणों ने कहा कि, हमें सिलगेर में न तो सड़क चाहिए और न ही पुलिस कैंप। जब तक कैंप नहीं हटेगा हम इसी तरह आंदोलन में डटे रहेंगे।
ग्रामीणों ने कहा- हम अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे उस समय पुलिस ने हम पे गोलियां बरसानी शुरू की थी। इस घटना में तीन लोग मारे गए थे। वहीं भगदड़ में भी एक महिला की भी मौत हुई थी। इस घटना को लेकर ग्रामीणों ने IG और SP को सजा देने की मांग भी की है। ग्रामीणों ने कहा कि, अभी खेती किसानी का समय है। इसलिए कम संख्या में पहुंचे हैं। हमारी मांगे पूरी नहीं होती है तो हम एक बार फिर विशाल आंदोलन करेंगे।
12 मई को सुरक्षाबलों का खुला था कैंप, 13 से हुआ था आंदोलन
सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर स्थित सिलगेर में 12 मई को सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया था। वहीं 13 मई की सुबह से ही यहां कैंप को हटाने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण जुट गई थी। इस बीच सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी। इसमें जवानों ने फायरिंग कर दी थी। पुलिस की गोली लगने से 3 लोगों की मौत व भगदड़ में एक गर्भवती महिला की मौत हुई थी। सरकार से लगातार हो रही बातचीत व कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए 28 दिन बाद ग्रामीण वापस घर लौट गए थे।
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