नक्सली लीडर रमन्ना के बेटे रंजीत ने किया सरेंडर:60 से ज्यादा जवानो की मौत के जिम्मेदार माओवादी ने डाले हथियार; जीरम और मिनपा हमलों में था शामिल, उपेक्षा के कारण संगठन छोड़ा

जगदलपुर2 वर्ष पहले
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नक्सली रमन्ना के बेटे रंजीत ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष किया सरेंडर। - Dainik Bhaskar
नक्सली रमन्ना के बेटे रंजीत ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष किया सरेंडर।

कुख्यात नक्सली और 1.4 करोड़ रुपए के इनामी रहा रमन्ना का बेटा और नक्सल कमांडर रंजीत ने बुधवार को तेलंगाना पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। रंजीत मिनपा, 2021 के जीरम जैसी बड़ी नक्सल वारदातों में शामिल रहा है। इन हमलों में 60 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। बताया जा रहा है कि वह संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन बड़े कैडर उसकी लगातार उपेक्षा कर रहे थे। इसके चलते उसने सरेंडर कर दिया।

नक्सल संगठन में ही हुआ जन्म, माता-पिता दोनों थे नक्सली
रंजीत का जन्म साल 1998 में छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में हुआ था। इसका पालन-पोषण नक्सल संगठन में ही हुआ। उसने जनताना स्कूल में पढ़ाई की और बचपन से ही हथियार चलाना सीख गया। वहां से 6वीं तक पढ़ाई करने के बाद रमन्ना ने खुद का और बेटे का नाम बदलकर रंजीत किया और निजामाबाद के काकतीय स्कूल में दाखिला कराया। यहां से रंजीत ने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की। डेढ़ साल पहले बीमारी के चलते रमन्ना की मौत हो गई थी।

छुट्टियों में आता था घर, बड़े कैडर के नक्सली सिखाते थे रणनीति बनाना
जब रंजीत निजामाबाद के स्कूल में पढ़ाई कर रहा था, तो उस समय स्कूल की छुट्टियों के दौरान वह दंडकारण्य के जंगल में आता था। जहां हार्डकोर नक्सली नागेश व शबरी इसे दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) क्षेत्र का दौरा करवाते थे। पुलिस के अनुसार ये दोनों बड़े नक्सली लीडर मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। रंजीत बड़े नक्सलियों के साथ रणनीति बनाना सीखता था। छुट्टियों के दौरान यह माओवादी कमांडर के साथ ही रहा करता था।

रमन्ना को बेटे के एनकाउंटर में बेटा मारे जाने का डर था
10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब रंजीत वापस पिता के पास लौटा तो रमन्ना ने उसे जंगल से बाहर जाने नहीं दिया। पुलिस को रंजीत की हरकतों की भनक लग गई थी। उसे डर था कि रंजीत का एनकाउंटर हो सकता है। रंजीत ने 2015 से 2017 तक अपने पिता के साथ ही घुमना शुरू किया। रंजीत के शिक्षित होने का नक्सलियों ने फायदा उठाया और संगठन का विस्तार करने की जिमेदारी भी दे दी। वह युवाओं को संगठन से जोड़ने का काम किया करता था।

2017 में कंपनी में हुआ भर्ती
रमन्ना ने 2017 में अपने बेटे को नक्सलियों की प्लाटून नंबर एक के कंपनी नंबर दो में भर्ती किया था। यहां पार्टी सदस्य के रूप में उसने काम किया। उसकी सक्रियता को देखते हुए इसे प्लाटून पार्टी सदस्य (PPC) के रूप में पदोन्नत किया गया था। संगठन में रहते हुए उसने 4 बड़ी नक्सल घटनाओं को अंजाम दिया था। जिसमें 60 से ज्यादा जवानों की शहादत हुई थी।

  • साल 2018 में कासाराम हमले में शामिल था। इस घटना में लगभग 9 जवानों की शहादत हुई थी।
  • साल 2020 में मिनपा नक्सली हमले को लीड किया था। इस मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हुए थे। घटना स्थल से नक्सलियों ने 12 AK-47 व 2 इंसास रायफल लूटी थी।
  • साल 2021 में जीरम में हुए बड़े नक्सली हमले में भी शामिल था। इस घटना में 26 जवान शहीद हुए थे। हालांकि सुरक्षाबलों ने 6 बड़े नक्सली लीडरों को भी ढेर किया था।

तेलंगाना DGP महेंद्र रेड्डी ने कहा कि रमन्ना के बेटे ने सरेंडर किया है। यह तेलंगाना पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी है। हम बाकी नक्सलियों से भी अपील करते हैं कि वे भी सरकार के समक्ष अपने हथियार डाल दें। उन्हें पुनर्वास नीति का फायदा दिया जाएगा।

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