छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा पुलिस के सामने खूंखार नक्सली दंपती ने सरेंडर किया है। दोनों पति-पत्नी पर 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित है। पोज्जा उर्फ संजू माड़वी पामेड़ एरिया कमेटी के प्लाटून नंबर 9 का कमांडर है। उसकी पत्नी तुलसी माड़वी पामेड़ एरिया कमेटी की सदस्य और DVC सुरक्षा दलम की कमांडर है। यह दोनों नक्सली दक्षिण बस्तर के टेकलगुड़ा और मिनपा समेत अलग-अलग इलाकों में एंबुश में फंसा कर लगभग 100 जवानों की हत्या करने की घटना में शामिल रहे हैं। साथ ही मुठभेड़ के बाद फोर्स के AK-47 समेत कई हथियार भी लूटे हैं। उन्होंने बताया कि हिड़मा ने टेकमगुड़ा हमले की प्लानिंग की थी, पहले जवानों को घुसने दिया और फिर घेर कर मारा गया।
दोनों ने बताया कि, सितंबर 2021 में संगठन में रहते हुए शादी कर ली थी। पोज्जो को 4 बार गोलियां भी लगी है। नक्सलियों की डॉक्टर टीम ने इलाज कर जान बचाई है। अब 15 मिनट से ज्यादा खड़ा नहीं रह सकता है, इस वजह से नक्सली इसकी उपेक्षा करने लगे थे। साथ ही छत्तीसगढ़ से ज्यादा तेलगु नक्सलियों का दबदबा संगठन में हैं। इसलिए इन दोनों ने दंतेवाड़ा पुलिस के लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर सरेंडर कर लिया। दंतेवाड़ा के SP डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि, मिनपा और टेकलगुड़ा की मुठभेड़ में शामिल ये पहले नक्सली हैं जिन्होंने सरेंडर किया है।
दोनों पति पत्नी ने भास्कर को एनकाउंटर की बताई कहानी...
सवाल- टेकलगुड़ा की घटना की प्लानिंग क्या थी? किस तरह से जवानों को एंबुश में फंसाया गया था?
जवाब- टेकलगुड़ा की घटना को अंजाम देने के लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं बनी थी। DKSZC (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) लीडर हिड़मा और संगठन के कई बड़े लीडर जंगल में बैठे हुए थे। इसी बीच संगठन के मिलिशया सदस्यों ने वॉकी-टॉकी से हिड़मा को जानकारी दी कि भारी संख्या में फोर्स जंगल में घुस रही है। वे टेकलगुड़ा की तरफ ही आ रहे हैं। खबर मिलने के बाद हिड़मा ने वहां मौजूद 450 नक्सलियों को इकट्ठा किया , फिर 10 मिनट तक बात कर सभी से कहा - मौका मिला है सफलता चाहिए। जिसके बाद नक्सली ऊंचाई वाली जगह पर छिप गए थे। सर्चिंग करते हुए जवानों को आगे जंगल मे और अंदर घुसने दिया। जब टेकरी की ओर पहुंचे तो चारों तरफ से घेर लिया गया। फिर जवानों पर गोलियां चलाई गई। फोर्स पूरी तरह से एंबुश में फंस गई थी।
सवाल- इस घटना को CG के नक्सलियों ने अंजाम दिया या फिर तेलगु नक्सली थे? जवाब- टेकलगुड़ा में सभी छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य के ही नक्सली थे। इसमें महिला नक्सलियों की संख्या भी ज्यादा थी। सभी हथियारों से लैस थे। इस घटना को हिड़मा लीड कर रहा था। सुजाता, रघु समेत और भी कई बड़े नक्सली थे। मुठभेड़ में एक भी तेलगु नक्सली शामिल नहीं था।
सवाल - एनकाउंटर में कुछ नक्सली भी मारे गए थे क्या?
जवाब - एनकाउंटर में स्पॉट पर ही 4 नक्सली मारे गए थे। 5 नक्सली घायल हुए थे जिनका बोटेम गांव में इलाज करवाया गया था। जिनमें बाद में 3 नक्सली इलाज के दौरान दम तोड़ दिए थे। इस घटना में कुल 7 नक्सली मारे गए थे।
सवाल - एक जवान को भी पकड़ कर ले गए थे, उनके साथ कैसा बर्ताव किया गया था?
जवाब- एनकाउंटर के बाद जवानों के पास से सारे हथियार लेकर इकट्ठा कर रहे थे। इस बीच एक जवान भी जिंदा मिला था। दूसरी पार्टी ने उसे पकड़ लिया था। उसके पास से हथियार भी ले लिए थे। जवान को हिड़मा के पास लेकर गए थे। कई दिनों तक हिड़मा, सुजाता और कई बड़े लीडरों ने पूछताछ की थी। बड़े लीडरों ने छोड़ने का निर्णय लिया। जवान से कहा कि फोर्स में मत आओ। घर जाकर परिवार के साथ खेती बाड़ी करो।
सवाल - घटना के बाद शहीद हुए जवानों की वर्दी भी उतारे थे, क्यों?
जवाब- नक्सली दंपती ने बताया कि, नक्सली पार्टी ऐसा काम नहीं करती है। इस घटना में गांव के ही 25 से 30 मिलिशया सदस्य थे। उनमें से कुछ लोगों ने वर्दी उतार ली थी। जिसके बाद उस वर्दी को वे पहन रहे थे।
सवाल- इस घटना में हिड़मा ने भी गोली चलाई थी क्या?
जवाब- नहीं। हिड़मा अब लड़ाई नहीं करता है। वो बंदूक रखता जरूर है लेकिन गोली नहीं चलाता है। टेकमगुड़ा की घटना में केवल वो प्लानिंग बना रहा था। लड़ाई कैडर के लोग कर रहे थे। वो सिर्फ बताता गया, कहां से जाना है और कहां से आना है। हिड़मा बीमार नहीं है, वो बिल्कुल ठीक है।
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