छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस ऑपरेशन मानसून चला रही है। ऐसे में लगातार जवान उफनती नदी-नाले, पहाड़ सहित घने जंगलों को पार कर नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। इस ऑपरेशन के अब तक 65 दिन हो चुके हैं और अलग-अलग जिलों में पुलिस को कई बड़ी सफलताएं भी मिली है। जवानों ने अब तक 25 लाख रुपए से ज्यादा के 11 इनामी नक्सलियों को ढेर किया है।
बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ 1 जून से इस अभियान की शुरुआत की गई है। दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर सहित अन्य जिलों के बीहड़ों में जवान लगातार सर्च ऑपरेशन कर रहे हैं। इन्हीं जिलों में DRG जवानों का एक उफनती नदी को पार करते हुए का वीडियो सामने आया है। इसमें जवानों के विपरीत परिस्थितियों से लड़ कर नक्सलियों से संघर्ष की तस्वीर स्पष्ट होती है।
महिला कमांडोज भी कर रही सर्चिंग
दंतेवाड़ा जिले में महज 2 साल पहले DRG महिला कमांडोज का बल तैयार किया गया था। जिसका नाम दंतेश्वरी फाइटर्स रखा गया। इस टीम में कई सरेंडर महिला नक्सली भी शामिल है। इन महिला कमांडोज को नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेने की ट्रेनिंग भी दी गई थी। दंतेश्वरी फाइटर्स की महिला कमांडोज भी लगातार सर्चिंग कर रही है। उफनती नदियों को पार करने महिला कमांडोज भी पीछे नहीं हट रही है।
क्या है पुलिस का मानसून अभियान
ठंड और गर्मी के मौसम में नक्सली लगातार अपना ठिकाना बदलते रहते हैं। लेकिन, बारिश के मौसम में ज्यादातर नक्सली एक ही जगह कैंप लगा कर अपना डेरा जमाए हुए रहते हैं। ऐसे में पुलिस को भी नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन को सफल बनाने में आसानी होती है। हालांकि उनके ठिकानों तक पहुंचने के लिए जवानों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। उफनती नदी-नालों , फिसलन भरी चट्टानों को पार कर फोर्स बस्तर के बीहड़ो में घुसती है। पिछले कुछ सालों में मानसून में ही पुलिस को ज्यादा कामयाबी मिली है।
जवानों को मिलती है स्पेशल ट्रेनिंग और सामान: आईजी
पिछले तीन साल से बस्तर के बहुत नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन मानसून चलाया जा रहा है। इस दौरान फोर्स की सफलता देखकर ऑपरेशन को और बेहतर तरीके से चलाया जा रहा है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि जवानों का यह ऑपरेशन आसान नहीं रहता। इसके लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। जिससे वे उफनती नदियों, बाढ़ से घिरे इलाकों में सर्चिंग कर सकें। जंगल में लगातार बारिश होती रहती है, लिहाजा जवानों को वाटरप्रूफ बैग, सामान, टैंट लगाने के विशेष शीट दी जाती है। उन्हें पानी में भीगने के कारण कोई तकलीफ ना हो इसके लिए भी तैयार किया जाता है। लंबी ट्रेनिंग के बाद जवान काई, फिसलन और तमाम तरह के जहरीले जीव-जंतुओं के बीच नक्सलियों की मांद में घुसते हैं।
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