68 गांवों के छात्रों, पालकों और सरपंचों ने निकाली रैली:पढ़ाई के लिए छात्रों के सामने आंदोलन की मजबूरी, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं भवन

कांकेर2 वर्ष पहले
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कांकेर में छात्रों ने स्कूल छोड़ पालकों के साथ किया प्रदर्शन। - Dainik Bhaskar
कांकेर में छात्रों ने स्कूल छोड़ पालकों के साथ किया प्रदर्शन।

स्कूल खुलते ही बदहाल स्कूलों और शिक्षकों की कमी को लेकर प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हो गया है। कोयलीबेड़ा में ताे 68 गांव के छात्र छात्राएं स्कूल यूनिफार्म में बुधवार को सड़क पर उतर आए और रैली निकाल प्रदर्शन किया। पूरे घटनाक्रम में बड़ा सवाल ये हैं कि 68 गांव के छात्र स्कूल समय में सड़क पर प्रदर्शन करने पहुंच गए तो शिक्षकों ने उन्हें रोका क्यों नहीं? भास्कर ने छात्रों की रैली को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा की तो उनका कहना था रैली के संबंध में अब तक उन्हें कोयलीबेड़ा के बीईओ या अन्य किसी ने कोई जानकारी नहीं दी है।

इससे साफ है कोयलीबेड़ा क्षेत्र में शिक्षक, संकुल समन्वयक तथा बीईओ बेपरवाह हैं। प्रदर्शन का कारण यही है। पालक बालक संघर्ष समिति के बैनर तले 18 ग्राम पंचायतों के 68 गांव के छात्र तथा पालकों ने कोयलीबेड़ा में बड़ी रैली निकाली। रैली के बाद सभाकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल तथा शिक्षा मंत्री के नाम तहसीलदार कोयलीबेड़ा को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने कहा अब भी व्यवस्था नहीं सुधरी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। यहां समस्या देखने अधिकारी भी नहीं आते। 29 सूत्री मांग पत्र सौंपते पालकों ने कहा कि सभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। जहां शिक्षक हैं भी तो नियमित नहीं आते। कौड़ो साल्हेभाट सरपंच बसंत ध्रुव, सिकसोड़ सरपंच लच्छु गावड़े ने कहा कि कोयलीबेड़ा के स्कूलों में कहीं शिक्षक नहीं है तो कहीं भवन नहीं है। गुणवत्ताहीन भवन बनाए गए हैं। प्रदर्शन में सर्व आदिवासी समाज अध्यक्ष सहदेव उसेंडी, केसेकोड़ी सरपंच पिलूराम उसेंडी, कोयलीबेड़ा सरपंच रमापुजारी, जिरमतरायी सरपंच हेमा हूपेन्दी, उदनपुर सरपंच, पानीडोबीर सरपंच, किसान यूनियन अध्यक्ष परमेश्वर यादव आदि थे। ।

बालोद में शराबियों ने जुर्रीपारा स्कूल की कक्षा में फेंकी बोतल
बुधवार को दोपहर 2 बजे के आसपास शहर के जुर्रीपारा में संचालित प्राथमिक शाला में कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। तभी 2-3 शराबियों ने स्कूल कैंपस अंदर शराब की बाेतल फेंक दी। जो कई टुकड़ों में बंटकर बिखर गया। गनीमत है कि किसी बच्चे व शिक्षक को चोटें नहीं आई। इस घटना के बाद प्रभारी प्रधानपाठक जितेंद्र सोनी ने टीआई, पेट्रोलिंग टीम को सूचना दी। सोनी ने बताया कि कैंपस में पढ़ाई चल रही थी। तभी किसी ने शराब की बोतल को फेंका, बोतल फेंकने से ऐसा लगा कि कोई किसी को मारने की नियत से ऐसी हरकत कर रहा क्योंकि वहां बच्चे व स्टाफ बैठे रहते हैं या आना-जाना करते हैं।

घटना के बाद तत्काल बाहर निकलकर देखा तो कोई नहीं था लेकिन इसके पहले कुछ लोगों की आवाज आ रही थी। टीआई के अलावा पालकों को भी घटना की सूचना दी गई है। पूर्व में भी यहां चोरी की घटनाएं हो चुकी है। इस संबंध में पुलिस को सूचना भी दी गई थी। जब शराब की बाेतल फेंकी गई तब कक्षा पहली से पांचवी तक के 12 बच्चे मौजूद थे। यहां कुल 24 बच्चे अध्ययनरत हैं। एक-एक दिन के अंतराल में पढ़ाने के लिए 50% की उपस्थिति में बच्चों को बुला रहे हैं।

स्कूल परिसर में धरने पर बस्ता लेकर बैठे विद्यार्थी।
स्कूल परिसर में धरने पर बस्ता लेकर बैठे विद्यार्थी।

महासमुंद में तालाबंदी करने के बाद जागे शिक्षा विभाग के अफसर
शिक्षकों की कमी से परेशान हायर सेकंडरी स्कूल बकमा की शाला विकास समिति, पंचायत प्रतिनिधिगण, ग्रामवासी व बच्चें बुधवार सुबह स्कूल में तालाबंदी कर सामने धरने पर बैठ गए। स्कूल में अध्यापन कार्य कराने वाले 6 शिक्षक जब स्कूल पहुंचे तो गेट में ताला बंद मिला। प्रदर्शन की सूचना मिलते ही शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल पहुंचे और प्रदर्शनकारियों की मांगों से सहमत होते हुए धरना समाप्त कराया। साथ ही जिला मुख्यालय में अटैच शिक्षक को वापस स्कूल अध्यापन के लिए भेजा गया।

वहीं आत्मानंद स्कूल में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले शिक्षक को रोक दिया गया। साथ ही महीने भर के भीतर एक और शिक्षक देने का आश्वासन दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारी मान गए और धरना समाप्त किया। साथ ही दोपहर बाद स्कूल के गेट का ताला खोला गया और पढ़ाई शुरू हुई। ज्ञात हो कि बकमा हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षकों की कमी को लेकर पालकगण, पंचायत प्रतिनिधि और शाला विकास समिति के पदाधिकारियों ने मिलकर स्कूल में तालाबंदी का निर्णय लिया था। इस संबंध में 12 अक्टूबर को कलेक्टर को पत्र लिखकर अवगत कराया गया था। इसके बाद भी शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होने के चलते बुधवार को स्कूल में तालाबंदी कर दी गई। इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी बागबाहरा कौशल वर्मा ने बताया कि वे तालाबंदी की सूचना मिलते ही ग्राम बकमा पहुंचे थे। जिला मुख्यालय में पदस्थ शिक्षक को वापस स्कूल भेजा गया। वहीं एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति रोक दी गई है। इसके अलावा एक शिक्षक की जल्द ही पदस्थापना करने के लिए समय मांगा गया। इस बात पर वहां के जनप्रतिनिधि मान गए और स्कूल का ताला खोलकर पढ़ाई शुरू कराई गई।