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देवउठनी एकादशी पर्व पर इस वर्ष 25 नवंबर को दोपहर 3.56 बजे से भद्रा लगने के कारण लगभग सभी परिवारों ने सुबह ही तथा दोपहर के मूहूर्त में ही पूजन कर लिया। गन्ने से मंडप सजा विधिविधान से पूजन किया गया। घर आंगन में रंगोली बनाई तथा शाम को दीपक जलाया गया। इस वर्ष 25 व 26 नवंबर दो दिन देवउठनी एकादशी पर्व पड़ने से लोगों में असमंजस था। शहर में लगभग सभी परिवारों ने 25 नवंबर को दोपहर 3.56 बजे भद्रा लगने से पहले की पूजन कर लिया। भद्रा की स्थिति 26 नवंबर को सुबह 5 बजे तक है। भद्रा लगने से पहले पूजन के बाद शाम को महिलाओं ने आंगन में रंगोली बनाई तथा दीपक से घर को रोशन किया। पर्व के चलते बाजार में काफी चहल पहल थी। गन्ना के साथ कंदमूल, फल-फूल व अन्य पूजन सामग्री की काफी ज्यादा मांग रही। लोगों ने तुलसी पौधा में गन्ना का मंडप बनाया और हल्दी का लेप लगाकर मौसमी फल फूल के साथ में श्रृंगार सामान चढ़ाकर तुलसी विवाह किया। आरती करते कथा भी पढ़ी गई। शीतलापारा की भूपेश्वरी शर्मा, द्रोपदी शर्मा, निर्मला पांडे ने कहा देवउठनी एकादशी पर्व में तुलसी विवाह कर पूजा की जाती है। पहले शाम को ही पूजा करते थे लेकिन इस वर्ष भद्रा लगने के कारण सुबह के मूहूर्त में भी पूजन किया। राजापारा के जितेंद्र तिवारी, रमाकांत तिवारी, बबली तिवारी, नीता तिवारी, मीरा तिवारी ने कहा इस पर्व पर काफी आस्था है। शाम 4 बजे के बाद भद्रा लगने की वजह से पहले ही पूरे परिवार ने पूजा कर ली।
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