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ग्राम पंचायत केसेकोड़ी के आश्रित ग्राम गट्टाकाल, संबलपुर और बढ़पारा में मितानिन नहीं होने से ग्रामीणों को छोटी-छोटी बीमारियों के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
गट्टाकाल में 100 घरों में 580 जनसंख्या है। वहीं संबलपुर में 84 घर में 450 की जनसंख्या है। इसी तरह बढ़पारा में 36 परिवार के 215 लोग निवासरत हैं। तीन गांवों की जनसंख्या को मिलाकर 1 हजार 245 की जनसंख्या है, लेकिन यहां मितानिन नहीं हैं। एक हजार दो सो पैंतालीस जनसंख्या है लेकिन यह मितानिन नहीं है ।
मितानिनों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ कहा जाता है, जहां स्वस्थ्य विभाग के कार्यकर्ता नहीं पहुंच पाते, वहां मितानिनें पारा मुहल्ले में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। सरकार द्वारा मितानिन को टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, प्रसव पूर्व चार जांच, नवजात के बच्चे के घर भ्रमण सहित कुछ सेवाएं पर शासन द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ये गांव-गांव के पारा टोला में रहकर लोगों को मलेरिया, दस्त, निमोनिया, बीमार नवजात, टीवी, कुष्ठ, पीलिया, कुपोषण, कृमि, गर्भवती, शिशुवती, ऊपरी आहार के घर परिवार भ्रमण, गर्भवती पंजीयन, प्रसव पूर्व चार जांच, संस्थागत प्रसव, महिलाओं की खास समस्याएं, गर्भावस्था में देखभाल, प्रसव के बाद माता के देखभाल करती है। इसके अलावा सुरक्षित गर्भपात, महिला हिंसा रोकने, पोषण व खाद्य सुरक्षा, बच्चों का विकास, महिलाओं के अधिकार, स्तन कैंसर के लक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करती हैं।
मितानिनों की नियुक्ति तत्काल होनी चाहिए : केसेकोड़ी सरपंच पीलू राम उसेंडी ने बताया मेरे द्वारा सामुदायिक केंद्र प्रभारी कोयली बेड़ा को जानकारी दिया गया है। क्षेत्र में नदी-नालों को देखते हुए गांव में मितानिनों की नियुक्ति तत्काल होनी चाहिए।
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