छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक परिवार ने धर्म क्या बदला, गांव वालों ने उससे अंतिम संस्कार का अधिकार तक छीन लिया। महिला की मौत के बाद उसे गांव में दफनाने की जगह तक नहीं दी। महिला का बेटा पुलिस अफसरों के पास पहुंचा और घर की बाड़ी में ही दफनाने की अनुमति मांगी। इसके बाद भी गांव वाले तैयार नहीं हुए। काफी मशक्कत के बाद बुधवार देर रात पुलिस की मदद से गांव के बाहर मुक्ति धाम में शव को दफनाया जा सका।
दरअसल, ग्राम पंचायत कुलगांव के ग्राम गोवर्धन निवासी संग्राम उइके के परिवार ने कुछ साल पहले आदिवासी से ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। इसका गांव वाले विरोध कर रहे थे। इस बीच मंगलवार शाम करीब 6 बजे संग्राम की मां की बीमारी से मौत हो गई। इस पर संग्राम खबर देने के लिए गांव के पटेल और गायता के पास पहुंचा। आरोप है कि उन्होंने शव को दफनाने नहीं देने की बात कही। संग्राम ने खुद की जमीन में दफनाने की बात कही, तब भी तैयार नहीं हुए।
ग्राम प्रमुखों ने भी किया विरोध, घर में भी दफनाने से रोका
आरोप है कि ग्राम के प्रमुख लोगों ने भी इसका विरोध किया। उनका कहना था कि चाहे पट्टे वाली जमीन भी होगी तब भी दफनाने नहीं देंगे। इस विवाद के चलते करीब 24 घंटे से शव घर में ही रखा हुआ था। इसके बाद संग्राम बुधवार को शिकायत लेकर SP ऑफिस पहुंचा। वहां भी देर शाम तक निर्णय नहीं हो सका। गांव वाले अपनी बात पर अड़े थे। जब ग्रामीण नहीं तैयार हुए तो पुलिस ने गांव के बाहर मुक्तिधाम में शव दफनाने की व्यवस्था की।
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