समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए समितियों में पहुंचने वाले किसानों को परेशान होते हुए आपने बहुत देखा होगा। लेकिन जिले में एक समिति ऐसी भी है, जहां धान बेचने के लिए आने वाला कोई भी किसान भूखा नहीं रहता, बल्कि उन्हें बाकायदा बिठाकर भरपेट भोजन कराया जाता है।
महासमुंद जिले की खल्लारी सहकारी समिति किसानों से धान खरीदने के साथ ही उन्हें भोजन भी कराती है। रोजाना दोपहर में यहां भोजन तैयार रहता है और किसानों को बारी-बारी से बिठाकर खाना खिलाया जाता है। पिछले तीन दिनों से रोजाना 150 से अधिक किसान खाना खा रहे हैं। 70 से 80 हमाल यहां कार्यरत हैं, जिन्हें भी दाेपहर का खाना समिति की ओर से खिलाया जाता है। जिला मुख्यालय से करीब 24 किमी की दूरी पर स्थित खल्लारी सहकारी समिति में करीब 13 गांव के लगभग 2 हजार किसान पंजीकृत हैं। 1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने के साथ ही यहां किसानों को खाना खिलाने की शुरुआत की गई है। खल्लारी सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष विजय बंजारे ने बताया कि वे पिछले 5 साल से समिति के अध्यक्ष पद पर हैं। इसके पहले 10 साल तक उनके पिता स्व. हीरालाल बंजारे समिति के अध्यक्ष थे। वे भी किसान हैं और किसानों की परेशानियों को से समझते हैं।
एक किसान जब अपना धान लेकर समिति में पहुंचता है तो उसे अपनी उपज बेचने में सुबह से शाम हो जाती है। ऐसे में भूखे-प्यासे रहकर किसान अपनी धान को बेचने के लिए जद्दोजहद करता है। इसीलिए मेरे मन में किसानों को भोजन कराने का ख्याल आया। इस साल मैंने इसकी पहले से ही तैयारी कर ली थी और 1 दिसंबर से शुरू हुई खरीदी के साथ ही किसान भाइयों के लिए धान खरीदी परिसर में ही भोजन की व्यवस्था की।
किसानों ने की समिति के काम की सराहना
इधर समिति में धान बेचने के लिए पहुंचने वाले किसान गुंजन प्रताप, रामभगवान यादव, मनोज चंद्राकर ने बताया कि समितियों में धान लेकर आने वाले किसानों की पहली चिंता ये रहती है कि जल्द से जल्द उनके धान का तौल हो जाए। ऐसे में उन्हें भूख-प्यास की चिंता नहीं होती। कई किसान ऐसे होते हैं, जो सुबह से शाम तक भूखे रहते हैं। ऐसे में समिति ने भोजन की व्यवस्था कर एक अच्छा काम किया है।
इन गांवों के किसान आते हैं धान बेचने
समिति में कुल 13 गांव खल्लारी, भीमखोज, जोरातराई, रैताल, कन्हारपुरी, कोमा, आमानारा, बोहलडीह, गाड़ाघाट, पतेरापाली, बीके बाहरा, आंवराडबरी और तोषगांव शामिल है। इनमें से जोरातराई, रैताल और पतेरापाली ऐसे गांव हैं, जिनकी खरीदी केंद्र से दूरी 10 किमी की है। वापस अपने गांव-घर पहुंचने में रात हो जाती है। ऐसे किसानों के लिए यहां दोपहर भोजन की व्यवस्था एक बड़ी राहत है।
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