राजधानी में कोरोना संक्रमित के कांटेक्ट में आने वालों के नाम नहीं बताने पर एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी काम आई। चेतावनी जारी करने के पहले ही दिन शहर में 15 से अधिक पॉजिटिव निकलने वालों ने अच्छी तरह सोच सोचकर 100 ऐसे लोगों के नाम बताए जो उनके संपर्क में आए हैं।
पुलिस ने उन सभी का ब्योरा निकाल लिया है। बेहद क्लोज कांटेक्ट में आने वालों की जांच करवायी जाएगी। संक्रमितों के कांटेक्ट में आने वालों को संदिग्ध मानकर उनकी ट्रेसिंग शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार इसी फार्मूले पर सख्ती से अमल करने से कांटेक्ट ट्रेसिंग जल्दी और बेहतर होगी।
ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच होने संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा। बुध्वार को शहर में 14 से अधिक पॉजिटिव आने वालों ने 100 से अधिक क्लोज कांटेक्ट में आए लोगों के नाम बताए। पहले दिन किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
हालांकि कुछ लोग संक्रमित ऐसे भी सामने आए जो कांटेक्ट ट्रेसिंग के दौरान खुद के अलावा परिवार के सदस्यों तक के नाम नहीं बता रहे थे। बाद में जब उन्हें एफआईआर के बारे में बताया तो उन्होंने एक एक कर सबके नाम गिनवा दिए।
सीएमओ कार्यालय में ही हेल्थ विभाग की कांटेक्ट ट्रेसिंग टीम लिस्ट के आधार पर एक-एक कर सभी संक्रमित से पूछताछ कर रही है कि पिछले एक हफ्ते के दौरान कौन कौन उनके संपर्क में आया। चूंकि पहले इस तरह एफआईआर जैसी सख्ती का कोई नियम नहीं था, इसलिए पॉजिटिव निकलने के बाद लोग एक-दो नाम बताने के बाद कांटेक्ट में आए लोगों की जानकारी नहीं देते थे।
इस बीच पॉजिटिव केस कम होने के कारण पूछताछ में कोई सख्ती भी नहीं बरती जाती थी। अब केस बढ़ने के खतरे को देखते हुए सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने एफआईआर के नियम की सख्ती को हरी झंडी दी। उसके बाद ही मंगलवार को इसे आधिकारिक रूप से जारी किया गया।
एफआईआर का नियम बनने के बाद भी कांटेक्ट ट्रेसिंग टीम को संक्रमितों से कांटेक्ट में आने वालों की जानकारी निकलवाने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। एफआईआर के नए नियम की जानकारी देने के बाद भी लोग बहाना बनाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। लोग कैसे कैसे बहाने बना रहे हैं, इसकी केस स्टडी।
एक लाख की आबादी में 6 संक्रमित
रायपुर जिले में इन दिनों सबसे ज्यादा केस राजधानी से ही निकल रहे हैं। रायपुर की प्रति एक लाख आबादी में अब संक्रमितों का अनुपात 6 पर आ गया है। चूंकि अधिकांश संक्रमित शहर के हैं, इसलिए कांटेक्ट ट्रेसिंग के दौरान बारीकी से इस बात की पड़ताल की जा रही है कि संक्रमित व्यक्ति कहां जाने से पॉजिटिव हुआ है।
दफ्तरों में काम करने वाले लोग भी सही जानकारी नहीं दे रहे हैं कई लोग पॉजिटिव आने के बाद बताते हैं कि पिछले एक हफ्ते से वो दफ्तर ही नहीं गए। ऐसे लोगों की कांटेक्ट हिस्ट्री तलाशने की जिम्मेदारी पुलिस और नगर निगम की जोन की टीमों को भी दी गई है।
भास्कर लाइव- नाम बताएंगे मोबाइल नंबर नहीं देंगे
बुधवार दोपहर करीब 12 बजे। सीएमओ कार्यालय के कांटेक्ट ट्रेसिंग कॉल रूम में मौजूद स्टॉफ के पास करीब 14 लोगों की लिस्ट थी। वे नए संक्रमितों को फोन कर संपर्क में आने वालों के नाम पते पूछ रहे थे। इसी दौरान कोटा इलाके में रहने वाले संक्रमित को जब फोन किया तो उसने पहले क्लोज कांटेक्ट में आए लोगों की जानकारी देने से इनकार कर दिया। कहा कि मैं घर पर रहकर ही संक्रमित हुआ हूं। बाजार, दफ्तर, शादी ब्याह कहीं नहीं गया हूं। बाद में उसे एफआईआर के नियम के बारे में बताया गया, तो वह चौंका फिर दोबारा आनाकानी करने लगा।
उसके बाद अफसरों ने खुद ही उससे बात की। फिर उसने सबके नाम बताए लेकिन संपर्क में आने वालों के मोबाइल नंबर देने से इनकार करने लगा। बाद में और सख्ती दिखाने पर संक्रमित ने सात लोगों के नाम और नंबर उपलब्ध करवाए।
कांटेक्ट ट्रेसिंग में लोग सही जानकारी दें तो कोरोना संक्रमण को काबू करने में काफी मदद मिलेगी। जानकारी छिपाने से किसी और का नहीं संक्रमित से जुड़े अन्य लोगों व परिवार के सदस्यों का भी नुकसान है। इसलिए संपर्क में आए लोगों की जानकारी जरूर दें। डॉ. मीरा बघेल, सीएमओ, रायपुर
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