फार्मेसी की फर्जी डिग्री लेकर ड्रग लाइसेंस लेने व दवा दुकान खोलने वाले तीन और आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों को कोर्ट पेश कर जेल भेज दिया गया है। आरोपियों ने राजस्थान, यूपी और एमपी की यूनिवर्सिटी के नाम से फर्जी फार्मेसी की डिग्री बनवाई थी। उसी के आधार पर लाइसेंस के लिए अर्जी दी और लाइसेंस तक ले लिया। इस मामले में अब तक 14 लोगों को जेल भेजा गया है।
पुलिस ने बताया कि मनोज चक्रधारी कोंडागांव, द्वारिका वर्मा खौली और खकन विश्वास खरिया ने फर्जी डिग्री से दवा दुकान खोलने की कोशिश की। आरोपियों ने लाइसेंस के लिए अर्जी दी थी। विभाग ने इसकी जांच की तो सर्टिफिकेट फर्जी मिले। तीनों को छापा मारकर पकड़ा गया है। फर्जी डिग्री मामले में पुलिस ने 28 लोगों को आरोपी बनाया है। जिनकी डिग्री नकली है उनमें अब तक 17 गिरफ्तार हो चुके हैं। 11 की तलाश जारी है।
इधर, फार्मेसी काउंसिल में हटाए गए रजिस्ट्रार
फर्जी डिग्री के बाद भी फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन का मामला सामने आने के बाद मामला काफी तूल पकड़ चुका है। शासन ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. श्रीकांत राजिमवाले को हटा दिया है। उनके हटाने को फर्जी डिग्री वालों का काउंसिल में रजिस्ट्रेशन से जोड़कर देखा रहा है। हालांकि डॉ. राजिमवाले खुद भी यहां से हटना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए पहले भी आग्रह किया था। उनके स्थान पर शासकीय यूनिवर्सिटी ऑफ फार्मेसी के प्राचार्य व डिप्टी रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. शेखर वर्मा को रजिस्ट्रार बनाया गया है।
डॉ. वर्मा फार्मासिस्ट हैं। फार्मासिस्ट एसोसिएशन 2018 से काउंसिल में फार्मासिस्ट नियुक्त करने की मांग भी कर रहा था। डॉ. राजिमवाले 2009 से काउंसिल में रजिस्ट्रार के बतौर सेवाएं दे रहे थे। वे छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार के अलावा डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के स्टेट नोडल अधिकारी भी हैं।
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