अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ:47 साल बाद दुर्लभ संयोग; रायपुर में सुहागिनों के लिए चंद्रोदय का समय, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

रायपुर8 महीने पहले
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राजधानी रायपुर में भी गुरुवार 13 अक्टूबर को करवाचौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज तड़के सरगी खाकर महिलाओं ने करवा चौथ के व्रत का शुभारंभ किया। सरगी की थाली में फल, मिठाईयां और ड्रायफ्रूट्स होते हैं। वैसे तो करवा चौथ की सरगी सास अपनी बहू को देती है, लेकिन उनके नहीं होने पर जेठानी, बहन या फिर कोई भी खुद से बड़ी महिला इसे आपको दे सकती हैं।

सरगी को सूर्योदय से पहले खाया जाता है। इसके बाद कोई भी सुहागिन चांद की पूजा हो जाने तक निर्जला उपवास रखती हैं। रात में चांद की पूजा करने के बाद महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। राजधानी रायपुर की कई कॉलनियों में करवा चौथ के लिए विशेष तैयारियां हैं। पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजे से साढ़े 7 बजे तक है। यहां कैपिटल सिटी फेज-2, मेट्रो ग्रीन्स, अवीवा गार्डन, वृंदावन गार्डन, अवंती विहार समेत कई कॉलोनियों में सुहागिनें पूजा-पाठ कर रही हैं।

पूजा के लिए जुटी सुहागिनें।
पूजा के लिए जुटी सुहागिनें।

करवा चौथ का व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। राजधानी रायपुर में रात 8 बजकर 07 मिनट पर चंद्रोदय का समय बताया गया है, लेकिन आज हो रही बारिश ने जरूर थोड़ी सी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अगर बादल छाए रहे, तो चांद का दीदार करने में मुश्किल आएगी।

शुभ मुहूर्त पर करें पूजा।
शुभ मुहूर्त पर करें पूजा।

ज्योतिषियों का मानना है कि सूर्य और चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते, केवल धरती के घूमने के कारण हमें ये दिखाई नहीं देते, इसलिए चांद नहीं दिखाई देने पर भी पूजा की जा सकती है। अगर इस तरह की स्थिति आए, तो सुहागिनें पूर्व-उत्तर दिशा में पूजा करके अर्घ्य दे सकती हैं। साल 1975 के बाद गुरू स्वराशि में है। आज चंद्रमा भी खुद के नक्षत्र यानी रोहिणी में रहेगा। इसलिए इस बार का करवा चौथ बेहद शुभ माना जा रहा है। आज शिव-पार्वती, कार्तिकेय गणेश जी, चौथ माता, चंद्र देव के साथ-साथ विष्णु-लक्ष्मी और गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा जरूर करें।

पूजा की थाली में ये सामान जरूर रखें।
पूजा की थाली में ये सामान जरूर रखें।

इधर करवा चौथ के एक दिन पहले बुधवार को महिलाओं की भीड़ मेहंदी लगवाने के लिए लगी रहीं। बाजारों में भी भारी भीड़ दिखाई दी। कपड़े, ज्वेलरी से लेकर पूजा के सामान के लिए महिलाएं दुकानों में नजर आईं। चूंकि ये त्योहार पति के लिए किया जाता है, इसलिए ब्यूटी ट्रीटमेंट लेने के लिए भी सुहागिनें पार्लर में नजर आईं। आज भी ब्यूटी पार्लर बुक हैं। इसके अलावा करवा चौथ से एक दिन पहले बुधवार को हेमू कालाणी वार्ड के पार्षद बंटी होरा ने भी महिलाओं के लिए निशुल्क मेहंदी लगवाने और चांद देखने के लिए छलनी की व्यवस्था की। इस मौके पर वार्ड की कई महिलाएं मौजूद थीं।

महिलाओं ने लगाई मेहंदी।
महिलाओं ने लगाई मेहंदी।

पार्षद बंटी होरा ने बताया कि महिलाओं को करवा चौथ मनाने के लिए सामान का वितरण किया गया। यह आयोजन वार्ड के ही शिव मंदिर गार्डन में शाम 5 बजे से रखा गया था। इस आयोजन का उद्देश्य त्योहार में शामिल होकर खुशियां बढ़ाना और एकजुटता का संदेश देना था। वहीं पार्षद द्वारा की गई मेहंदी लगवाने की व्यवस्था के लिए वार्ड की महिलाओं ने उन्हें धन्यवाद दिया है।

मेहंदी लगवाने का कार्यक्रम।
मेहंदी लगवाने का कार्यक्रम।

करवा चौथ पूजा की सामग्री

  • करवा चौथ की पूजा में टोंटीवाला करवा और ढक्कन होना जरूरी है। करवा को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। वहीं उसकी टोंटी को उनकी सूंड मानी जाती है। करवा में जल भरकर उससे चांद को अर्घ्य दिया जाता है।
  • कांस की सींक को करवे की टोंटी में डालते हैं।
  • पूजा में कलश का होना जरूरी होता है। इसके अलावा 16 श्रृंगार की सामग्री जैसे चूड़ी, साड़ी, बिंदी, महावर, मेहंदी, चुनरी, बिछिया, नेल पॉलिश, काजल जैसी चीजें रखें।
  • पूजा की थाली में पान, फूल, चंदन, अगरबत्ती, धूप, दीप, मौली, अक्षत, नारियल, हल्दी, चावल, मिठाई, रोली, कच्चा दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, कपूर, गेहूं, बाती, लकड़ी का आसन, छलनी, मीठा, पूरी वगैरह रखें।
  • करवा माता की फोटो जरूर रखें और उनके सामने कथा को पढ़ें।
इस तरह से करें करवा चौथ की पूजा।
इस तरह से करें करवा चौथ की पूजा।

करवा चौथ की पूजा विधि

सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। इसके बाद करवा माता की फोटो रखें और पूजा स्थल पर करवा रखें। इसके बाद प्रसाद अर्पित कर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। एक लोटा, वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। करवा में पानी भरकर उसमें सिक्का डालकर उसे लाल कपड़े से ढंकें। पूजा की थाली में श्रृंगार का सामान रखकर करवाचौथ की कथा सुनें या खुद पढ़ें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दें।

पति के हाथों से करें व्रत का पारण।
पति के हाथों से करें व्रत का पारण।

सुहागिनों का ये पर्व द्वापर युग से चला आ रहा है। शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से ये व्रत करती हैं। आयुर्वेद के नजरिए से शरद ऋतु में आने वाले इस व्रत को करने से महिलाओं की सेहत भी अच्छी रहती है। सूर्योदय के साथ ही ये व्रत शुरू हो जाता है, जो शाम को चांद की पूजा के बाद खत्म होता है। इस बार करवा चौथ पर शुक्र अस्त रहेगा।