रायपुर में ग्लोबल ट्राइबल क्वीन कॉन्टेस्ट का आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार को इस प्रतियोगिता को लेकर दीनदयाल ऑडिटोरियम में गोष्ठी का आयोजन किया गया। यहां देशभर से आए आदिवासी संस्कृति के एक्सपर्ट्स ने अपनी बातें रखीं। आयोजकों ने बताया कि 4 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों के आदिवासी युवतियां पहुंची हैं। यहां आदिवासी ब्यूटी क्वीन का सलेक्शन भी होगा।
इससे एक दिन पहले प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इस प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। यहां आई नाइजीरियन आदिवासी लड़कियों ने छत्तीसगढ़िया स्वैग दिखाया। कलिंगा यूनिवर्सिटी के रायपुर कैंपस में पढ़ने वाली अफ्रिकन लड़कियों ने भी यहां कार्यक्रम में हिस्सा लिया और जय जोहार बोलकर सभी को हैरान किया।
अफ्रिकन स्टूडेंट अनास अमीनु(नाइजीरिया से रायपुर आई फार्मेसी स्टूडेंट) ने बताया कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति पर होने वाले कार्यक्रम उन्हें बेहद पसंद आते हैं। यहां प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए प्रतिभागियों से बात-चीत करने से उनकी संस्कृति को जानने का मौका मिला। अनास अपने दोस्तों के साथ यहां पहुंचीं थीं और जय जोहार बोलकर छत्तीसगढ़िया पार्टिसिपेंट्स से मिलती-जुलती नजर आईं।
राज्यपाल बोलीं-हमारा गोदना, टैटू बनकर दुनिया में छाया
इस कार्यक्रम में आईं राज्यपाल अनुसुइया उईके ने कहा ग्लोबल ट्राइबल क्वीन अवॉर्ड का प्लेटफार्म के माध्यम से देश और विदेश में ट्राइबल कम्युनिटी आगे बढ़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदिवासी समुदायों के लिए अनेक कार्यक्रमों को चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम को छत्तीसगढ़ में करने के लिए भी धन्यवाद है। ये एक नया कंसेप्ट है जिससे प्रदेश के बहुत से आदिवासी समुदायों को लाभ मिलेगा।
इन कार्यक्रमों से आदिवासी समुदायों को प्रोत्साहन और समृद्ध परंपरा का आदान प्रदान होता है। कोदो कुटकी जैसे अनाज को खाकर ट्राइबल हमारा स्वस्थ और सुंदर रहता है। विश्व सुंदरी के कार्यक्रम में एक तरफ कंधे के कपड़े जो पहने जाते हैं वह आदिवासी संस्कृति की देन है। आदिवासी समुदायों द्वारा शरीर में गोदना आज वर्तमान में आधुनिक समाज के लोग शरीर मे उसी तरह गोदवाते हैं। दुनिया में ये टैटू बनकर छाया हुआ है।
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