दशकों से चले रहे विरोध के बावजूद छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों पर आरी चल गई। वन विभाग, प्रशासन और कंपनी ने मंगलवार सुबह 5-6 बजे पेड़ों की कटाई शुरू करा दिया है। विरोध कर रहे ग्रामीणों को जबरन पकड़कर पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। किसी को कटाई वाले क्षेत्रों में नहीं जाने दिया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि पेड़ों की यह कटाई पेण्ड्रामार जंगल के इलाके में हो रही है। यहां बासेन से बंबारू तक 45 हेक्टेयर के घने जंगल में पेड़ काटे जाने हैं। यह कटाई परसा ईस्ट केते बासन खदान के दूसरे फेज के लिए हो रही है। खदान के इस विस्तार से सरगुजा जिले का घाटबर्रा गांव उजड़ जाएगा। वहीं एक हजार 138 हेक्टेयर का जंगल भी उजाड़ा जाना है। इस क्षेत्र में परसा खदान के बाद इस विस्तार का ही सबसे अधिक विरोध था। ग्रामीणों के मुताबिक पुलिस ने मंगलवार को सुबह होने से पहले ही खदान के विरोध में आंदोलन कर रहे 20 से अधिक आदिवासी ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार करने की बात स्वीकारी है वह भी आधिकारिक तौर पर नहीं। पुलिस ने इन लोगों को पुराने मामले में गिरफ्तार किए जाने की बात कही है।
जिन लोगों को पुलिस ले गई है उनमें पतुरियाडांड के सरपंच उमेश्वर सिंह अर्मो, घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन सिंह पोर्ते, बासेन के सरपंच श्रीपाल सिंह और उनकी पत्नी, पुटा के जगरनाथ बड़ा, राम सिंह मरकाम, साल्ही के ठाकुर राम कुसरो, आनंद कुमार कुसरो, बासेन के श्याम लाल और उनकी पत्नी और शिव प्रसाद की पत्नी। सरगुजा जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, कटाई वन विभाग करा रहा है। अभी फिलहाल 45 हेक्टेयर का जंगल काटा जा रहा है। सरकारी काम में कोई विघ्न न डाले इसके लिए वहां पुलिस फोर्स लगाई गई है। हम ग्रामीणों को भी सहयोग करने को कह रहे हैं।
प्रशासन का कहना, कटाई करने जाते हैं तो पीकर आ जाते हैं
आदिवासी ग्रामीणों की गिरफ्तारी के औचित्य पर अधिकारियों का कहना था, जब भी वहां सरकारी काम होता है तो लोग तीर-धनुष लेकर आ जाते हैं। कुछ लोग पीकर आ जाते हैं। जबरन विरोध करते हैं। उनको दूर रखने के लिए कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
गांव का नंबर तो तीन साल बाद आएगा, तब देखेंगे
खदान के विस्तार में घाटबर्रा गांव के उजड़ने के सवाल पर एक अधिकारी ने कहा, गांव को तो छू भी नहीं रहे हैं। अभी 45 हेक्टेयर का जंगल काट रहे हैं। उसके बाद 1100 हेक्टेयर का एक और जंगल काटा जाएगा। गांव का नंबर तो तीन साल बाद आना है। तब देखा जाएगा कि वे मुआवजा लेकर विस्थापित होने को तैयार हैं या नहीं। अभी विरोध करना ठीक नहीं है?
पूरे गांव को विस्थापित करने का है प्रस्ताव
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान 2012 में आवंटित हुई थी। इसमें 2013 से खनन जारी है। 2019 में इसके दूसरे फेज का प्रस्ताव आया था। इसमें परियोजना के लिए 348 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 1138 हेक्टेयर वन भूमि के अधिग्रहण सहित करीब 4 हजार की आबादी वाले पूरे घाटबर्रा गांव को विस्थापित करने का प्रस्ताव है। इन इलाकों में इन खदान को बनाने जंगल भी काटे जा रहे हैं। जिसका ग्रामीण विरोध भी कर रहे हैं।
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