छत्तीसगढ़ की एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने पर्वतारोहण में बड़ी छलांग लगाई है। जांजगीर-चांपा की अमिता श्रीवास ने लद्दाख की जांस्कर शृंखला की यू.टी. कांगरी चोटी की मुश्किल चढ़ाई को पूरा किया है। 6 हजार 70 मीटर ऊंची यह चोटी एवरेस्ट अभियान की तैयारी कर रहे पर्वतारोहियों को तैयारी के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
अमिता ने बताया, यू.टी. कांगरी पर सफलता उनके एवरेस्ट मिशन की प्रारंभिक तैयारी का एक पायदान है। उनके इस मिशन में दिल्ली, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्यों के 11 सदस्य थे। इसमें से 2 लोग पहले एवरेस्ट की चढ़ाई भी कर चुके थे। उनकी टीम ने बेस कैंप से 14 जनवरी को रात 11 बजे चोटी पर चढ़ाई शुरू की। पांच दिन बाद 19 जनवरी को वे लोग यू.टी. कांगरी के शिखर पर थे।
चढ़ाई के दौरान बेहद खतरनाक वाकया हुआ। पर्वतारोहियों की टीम चोटी से 50 मीटर नीचे थी तभी वहां एवलांच आ गया और बर्फ नीचे गिरने लगा। उन्होंने एवलांच के बारे में केवल पढ़ा-सुना ही था, कभी देखा नहीं था। पहली बार एवलांच देखा जिसका अनुभव बता पाना भी मुश्किल है। एवलांच शांत हुआ तो आगे की चढ़ाई दुरूह हो चुकी थी। आगे बढ़ने का फैसला लेना भी मुश्किल था।
हिम्मत के साथ वे आगे बढ़ी और 6 हजार 70 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर ही मानीं। अमिता ने बताया, 4 हजार 700 मीटर ऊंचाई पर स्थित उनके बेस कैंप में तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस था। अंतिम चढ़ाई के समय यह तो माइनस 31.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
किलिमंजारों पर भी फहरा चुकी हैं तिरंगा
अमिता की पर्वत चोटी पर यह चौथी बड़ी चढ़ाई थी। उन्होंने 2019 में उत्तरी सिक्किम में व पश्चिमी सिक्किम के बड़े शिखरों पर चढ़ाई की थी। साल 2021 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन अमिता ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराया। तंजानिया की किलिमंजारो चोटी पांच हजार 895 मीटर ऊंची है। यहां उन्होंने गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ लिखा प्लेकार्ड भी लहराया था।
पिता चलाते हैं हेयर सैलून
अमिता के पिता जैतराम श्रीवास हेयर कटिंग सैलून चलाते हैं। उनकी मां रतियावन श्रीवास गृहिणी हैं। परिवार में तीन बहन और दो भाई है। चांपा के कन्या उच्चतर माध्यमिक स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा हुई। एमएमआर पीजी कालेज चांपा में एम.कॉम की पढ़ाई करने की। 2018 में विवेकानंद माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, माउंट आबू से रॉक क्लाइंबिंग का प्रशिक्षण लिया। अभी वे चांपा के वार्ड-4 की आंगनबाड़ी में कार्यकर्ता हैं।
राज्य सरकार ने भी की है अभियानों में मदद
पर्वतारोहण जैसा महंगा खेल में सर्वाइव करना अमिता के लिए संभव नहीं था। जांजगीर-चांपा जिला प्रशासन ने इसमें मदद की। यू.टी. कांगरी अभियान के लिए प्रशासन ने 80 हजार रुपए की मदद की थी। इससे पहले अमिता के पर्वतारोहरण अभियानों के लिए सीएसआर मद से दो लाख 70 हजार रुपए की सहायता हुई थी। अभी नई सफलता पर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अमिता को बधाई दी है।
यहां से जागी पर्वतारोहण में रुचि
मार्शल आर्ट में लोहा मनवा चुकी अमिता को छत्तीसगढ़ के एवरेस्ट विजेता राहुल गुप्ता से पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेल की जानकारी मिली। थोड़ा मन बना तो उन्होंने विवेकानंद माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, माउंट आबू से रॉक क्लाइंबिंग का विधिवत प्रशिक्षण भी लिया। उसके बाद राहुल गुप्ता ही अमिता को प्रशिक्षित कर रहे हैं।
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