छत्तीसगढ़ की कृषि उपज मंडियों से भार साधक अधिकारियों को हटा दिया गया है। उनकी जगह पर कामचलाऊ समितियों को नियुक्त किया जा रहा है। संचालक, कृषि विपणन ने भार साधक समितियों के आदेश जारी कर दिए हैं।
अधिकारियों ने बताया, प्रदेश की सभी 69 कृषि उपज मंडी समितियों में भार साधक अधिकारियों के स्थान पर भार साधक समितियों की नियुक्तियां कर दी गई हैं। प्रत्येक समिति में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष तथा 5 सदस्यों समेत कुल सात सदस्यों की नियुक्ति की गई है। भार साधक अधिकारियों के माध्यम से संचालित हो रहे कार्यों का संचालन अब समितियों के माध्यम से होगा।
प्रदेश की मंडी समितियां 2011 से भंग हैं। सामान्य तौर पर मंडी समितियों के चुनाव होते हैं। इस बार सरकार ने चुनाव न कराकर समितियों का मनोनयन कर दिया है। कहा जा रहा है, इस समिति में किसान और व्यापारी दोनों वर्गों के प्रतिनिधि शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि समितियों के काम संभाल लेने से जनप्रतिनिधित्व बढ़ेगा। किसानों और व्यापारियों की समस्याओं पर चर्चा कर तुरंत निर्णय लिया जा सकेगा।
अभी तक एसडीएम-तहसीलदार होते रहे प्रभारी
मंडी समितियों के भंग होने के बाद से अब तक व्यवस्था भार साधक अधिकारी के भरोसे चल रही थी। यह जिम्मेदारी अधिकतर स्थानीय एसडीएम-तहसीलदार अथवा कृषि विभाग के सहायक संचालक को मिल जाती थी। उनके पास पहले से मूल पद की जिम्मेदारी होती थी। ऐसे में मंडियों की शिकायतों का समाधान होने में देर लगता था।
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