पेट्रोल और डीजल उत्पाद शुल्क कटौती के प्रभावों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अलग-अलग राग अलाप रही हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस कटौती से राज्यों को नुकसान होगा। वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है, पेट्रोलियम पर एक्साइज की कटौती उस हिस्से से की गई है, जिसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता। मतलब इससे राज्यों को कोई नुकसान नहीं होने वाला।
इधर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री के बयान को खारिज कर दिया है। सोमवार को दंतेवाड़ा रवाना होने से पहले रायपुर हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, 'निर्मला सीतारमण जी का बयान आया है कि राज्यों को कोई नुकसान नहीं होगा। मुझे तो बिल्कुल समझ नहीं आया। सेंट्रल एक्साइज का 42% हिस्सा राज्यों को जाता है। यदि केंद्र सरकार सेंट्रल एक्साइज में कमी करती है तो इसका मतलब है कि हमारा हिस्सा कम होगा।'
'दूसरा, अगर रेट गिरता है तो VAT का परसेंट अपने आप कम हो जाता है। हमारे यहां 24% VAT है। जो कीमत कम होगी उसका 24% ही तो VAT आएगा। अधिकारियों ने मुझे बताया है कि अभी करीब 500 करोड़ का नुकसान होने वाला है।'
भूपेश बघेल ने कहा, 'मैं पहले भी कह चुका हूं, अब भी कह रहा हूं कि केंद्र सरकार ने जो सेस लगाया है उसको वापस क्यों नहीं ले लेती। अभी पिछले साल ही तो लगाया है, उसको वापस ले लें। एक और बात कि जो सेंट्रल एक्साइज UPA सरकार के समय था, 3 रुपया और 9 रुपया। इसे उस दर पर ले आएं तो पूरे देश को पेट्रोल और डीजल सस्ता मिलेगा।'
एक्साइज का यह विवाद कहां से उठा
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए केंद्र सरकार ने दो दिन पहले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की है। इससे पेट्रोल पर 8 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर की कटौती हुई। उसके बाद भाजपा, राज्य सरकार पर VAT (वैल्यू एडेड टैक्स) कम करने का दबाव बना रही है, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी में जो कटौती की है, उसका असर प्रदेश के राजस्व पर पड़ेगा। ऐसे में अगर VAT भी कम कर दिया जाए तो राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री की यह सफाई थी
रविवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया के जरिए इस विवाद पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा, मूल उत्पाद शुल्क (BED), विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SID), सड़क एवं अवसंरचना उपकर (RIC) और कृषि एवं अवसंरचना विकास कर (AIDC) को मिलाकर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बनता है। मूल उत्पाद शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाता है, जबकि SID, RIC और AIDC को साझा नहीं किया जाता। वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क कटौती पूरी तरह से सड़क एवं अवसंरचना उपकर यानी RIC में की गई है। नवंबर 2021 में जब पेट्रोल पर 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर घटाए गए थे तब भी कटौती RIC में ही की गई थी।
केंद्र पर 2 लाख 20 हजार करोड़ का भार पड़ेगा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था, केंद्रीय उत्पाद कर में दो बार कटौती की जा चुकी है। पहली कटौती नवंबर 2021 में हुई थी और दूसरी शनिवार को हुई। इसका भार केंद्र उठाएगा। उन्होंने बताया कि शनिवार को जो कर कटौती की गई उसका केंद्र पर एक लाख करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। नवंबर 2021 में जो कर कटौती की गई थी उसका केंद्र पर भार एक लाख 20 हजार करोड़ रुपए का भार पड़ा। इन दो कटौतियो से केंद्र के राजस्व पर दो लाख 20 हजार करोड़ रुपये का असर पड़ेगा।
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