चक्रवाती हवाओं की वजह से छत्तीसगढ़ में मंगलवार से हाे रही बारिश, दिसंबर में अब तक की सबसे भारी बारिश साबित हो रही है। सबसे अधिक बारिश रायपुर में दर्ज हुई है। यहां एक नया रिकॉर्ड बना है। मौसम विभाग के रिकॉर्ड में 9 दिसंबर 2010 को 24 घंटे के दौरान रायपुर में 64.1 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड था। मंगलवार शाम से बुधवार सुबह 8.30 बजे तक ही यहां 66 मिलीमीटर पानी गिर चुका है। वहीं आज सुबह से लगातार बारिश हो रही है और पूरे दिन पानी गिरने के आसार हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी बारिश के आंकड़़ों के मुताबिक बुधवार सुबह 8.30 बजे तक रायपुर केंद्र पर 66 मिमी पानी गिरा। वहीं माना हवाई अड्डे के पास 50 मिमी और कृषि विश्वविद्यालय के पास लाभांडी में 52 मिमी बारिश मापी गई है।
बिलासपुर में 20, पेण्ड्रा में 25 और अम्बिकापुर में 22.8 और राजनांदगांव में 53 मिमी पानी गिरा है। कोरिया, जशपुर, कोरबा, कांकेर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, महासमुंद, बीजापुर और धमतरी जिलों में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई है।
रायपुर, धमतरी, बालोद, रायगढ़, सूरजपुर जैसे दर्जन भर जिलाें में अब भी बारिश जारी है। मौसम विभाग ने धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बालोद, राजनांदगांव में बादलों की गरज के साथ तेज बारिश का अनुमान जताया है। रायपुर सहित मध्य भाग के अधिकांश जिले बुधवार की बारिश से प्रभावित होंगे। एक-दो जगहों पर आकाशीय बिजली और ओला गिरने की भी आशंका जताई जा रही है। जिन क्षेत्रों में सुबह आसमान थोड़ा साफ रहा या पानी नहीं गिरा वहां घना कोहरा छा गया। आसमान साफ होने के बाद कोहरा अधिक घना होगा।
तापमान गिरा, अब कंपकपाएगी ठंड
बारिश की वजह से अधिकतम और न्यूनतम तापमान कम हुआ है। हालांकि बादलों की वजह से न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है। रायपुर का न्यूनतम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस रहा। यह मंगलवार की तुलना में करीब एक डिग्री सेल्सियस कम है, लेकिन अभी भी सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक बना हुआ है। अम्बिकापुर में न्यूनतम तापमान 13.2 डिग्री सेल्सियस मापा गया। यह एक दिन पहले के तापमान से 2 डिग्री और सामान्य से 4 डिग्री अधिक है। मौसम साफ होने के बाद ठंड बढ़ने के आसार हैं।
धान खरीदी प्रभावित, केंद्रों में धान भीगा
भारी बारिश की वजह से धान की सरकारी खरीदी प्रभावित हुई है। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जैसे कई जिलों में आज सरकारी खरीदी को रोक दिया गया है। वहीं प्रदेश भर के कई हिस्सों में धान खरीदी और संक्रहण केंद्रों में रखे धान के भीग जाने की खबर आ रही है। इसकी वजह से नुकसान बढ़ सकता है। सरकार ने अधिकारियों को धान को भीगने से बचाने के उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
खेतों में भी बर्बाद हुई किसान की मेहनत
प्रदेश के कई क्षेत्रों में पछेती किस्मों के धान की कटाई अब भी जारी है। धान की मिजाई से पहले किसान उसे काटकर गट्ठरों को खेत में ही छोड़ देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि धान सूख जाए और मिजाई में सभी दाने आसानी से छूट जाएं। बारिश के सीजन में कई क्षेत्रों में खेत में पानी जमा हो गया है। इसकी वजह से खेत में रखी धान की फसल डूब गई। इसकी वजह से किसानों का नुकसान भी बढ़ गया है। फल-सब्जियों की खेती को भी ओलों और भारी बारिश से नुकसान पहुंचा है।
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