कोरोना की तेज रफ्तार और इसके लिए जरूरी दवाओं किल्लत को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन को चिट्ठी लिखी है। सीएम भूपेश ने अपनी चिट्ठी में रेमडेसिविर इंजेक्शन, आइवरमेक्टिन टैबलेट्स समेत सात दवाआें को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के दायरे में शामिल करने की मांग की है।
सीएम भूपेश ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि इससे पहले भारत सरकार ने कोरोना की पहली लहर के समय सर्जिकल मास्क एवं एन-95 मास्क एवं हैंड सेनेटाइजर को इस अधिनियम के तहत लाया था जिससे महामारी की पहली लहर से निपटने में काफी मदद मिली थी। सीएम ने लिखा है कि देश के दूसरे प्रदेशों की तरह छत्तीसगढ़ में भी कोरोना की द्वितीय लहर के अंतर्गत संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं।
इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ में 25 अप्रैल 2021 तक 6 लाख 52 हजार 362 मामले दर्ज किए गए हैं। कोरोना मरीजों के उपचार में रेमेडिसविर इंजेक्शन, आइवरमेक्टिन टैबलेट्स, एनोक्सापारिन इंजेक्शन, डेक्सामेथासोन टैबलेट एवं इंजेक्शन, टोसीलीजुमब इंजेक्शन और फेविपिराविर कैप्सूल की मांग तेजी से बढ़ी है। बढ़ी मांग के कारण इनकी जमाखोरी एवं कालाबाजारी की शिकायतें भी लगातार मिल रही हैं जिसके कारण मरीजों के उपचार में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार इन दवाओं की काला बाजारी रोकने अस्पतालों में दवाओं का वितरण, उपयोग पर निगरानी, विशेष टास्क फोर्स का गठन के साथ ही आकस्मिक जांच करवाई जा रही है। सीएम ने लिखा है कि इन दवाइयों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत अधिसूचित करने से प्रशासन को काला बाजारी रोकने तथा गुणवत्ता एवं आपूर्ति सुनिश्चित करने में आवश्यक सहायता प्राप्त होगी।
ये दवाएं जिनके लिए लिखी गई चिट्ठी
रेमेडिसविर इंजेक्शन, आइवरमेक्टिन टैबलेट्स, एनोक्सापारिन इंजेक्शन, डेक्सामेथासोन टैबलेट एवं इंजेक्शन, टोसीलीजुमब इंजेक्शन और फेबीपिराविर कैप्सूल।
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