रायपुर में चेट्रीचंड्र महोत्सव में हजारों लोग जुटे:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले- सामाजिक कामों के लिए नवा रायपुर में सिंधी समाज को दी जाएगी जमीन

रायपुर3 महीने पहले
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रायपुर में महोत्सव में बॉलीवुड एक्ट्रेस संगीता बिजलानी समेत हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। - Dainik Bhaskar
रायपुर में महोत्सव में बॉलीवुड एक्ट्रेस संगीता बिजलानी समेत हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए।

गुरुवार को रायपुर में आयोजित चेट्रीचंड्र महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिंधी समाज को लेकर एक और घोषणा करते हुए कहा है कि, सिंधी पंचायत को सामाजिक कार्य के लिए नवा रायपुर में जमीन दी जाएगी। इससे पहले सीएम ने चेट्रीचंड्र उत्सव पर सरकारी छुट्टी का ऐलान किया था। महोत्सव में बॉलीवुड एक्ट्रेस संगीता बिजलानी समेत हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अलग-अलग इलाकों से आए जुलूस देखें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अलग-अलग इलाकों से आए जुलूस देखें।

रायपुर में बीते 3 सालों से कोविड-19 के चलते इस महोत्सव को सीमित संख्या में लोग मनाते थे, लेकिन इस बार सिंधी समुदाय ने खुलकर इस महोत्सव में एक दूसरे को खुशियां बांटी। जय स्तंभ चौक पर हजारों लोगों की तादाद देखने को मिली। चौराहे पर दो अलग-अलग मंच बनाए गए थे। जहां से कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दे रहे थे।

युवतियों की टोलियों ने किया डांस।
युवतियों की टोलियों ने किया डांस।

मंच के नीचे मौजूद महिलाओं और युवतियों का समूह पूरी मस्ती में झूमता नजर आया। मंच से सिंधी कलाकारों ने सिंधी गीतों की प्रस्तुतियां दी। आयो लाल झूलेलाल, लाल झूलेलाल, दमा दम मस्त कलंदर जैसे गानों पर लोग थिरकते दिखाई दिए।

एक्ट्रेस संगीता बिजलानी ने भी कहा जय झूलेलाल।
एक्ट्रेस संगीता बिजलानी ने भी कहा जय झूलेलाल।

सिंधी समुदाय के मंच पर बॉलीवुड एक्ट्रेस संगीता बिजलानी भी पहुंची। मुंबई से आए सिंगर कमलेश कपूर एंकर महेश मोटलानी ने मुंबई रॉक बैंड के साथ यहां परफॉर्म किया। संगीता बिजलानी भी चेट्रीचंड्र महोत्सव के माहौल में झूमती नजर आईं। और रायपुर शहर के लोगों के बीच आकर जय झूलेलाल का नारा भी लगाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि रायपुर में मैं अपने परिवार के ही बीच आ गई हूंं।

लोगों की भीड़ देर रात तक कार्यक्रमों का लुत्फ लेती रहीं।
लोगों की भीड़ देर रात तक कार्यक्रमों का लुत्फ लेती रहीं।

मंच पर मौजूद आनंद कुकरेजा, राम गिडलानी, ललित जैसिंघ, अजीत कुकरेजा और अनिल जोतसिंघानी समेत सभी सामाजिक पदाधिकारी अलग-अलग इलाकों से आने वाले जुलूस का स्वागत करते रहे। इस दौरान विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भी सभी को महोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए जय श्री राम का नारा मंच से लगाया।

मंच पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल।
मंच पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल।

झूलेलाल देव पर बोले मुख्यमंत्री...
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, झूलेलाल देव को वरूण देव का अवतार कहा जाता है। वरूण देव जल के देवता हैं, जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस तरह भगवान झूलेलाल सम्पूर्ण जीवन के आधार हैं। उन्होंने बताया कि सिंधी समाज व्यापारियों और व्यवसायियों का समाज है। निश्चित रूप से शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज को भी मिला है। प्रदेश के व्यापार-व्यवसाय में प्रगति हुई है और समाज के जीवन में भी रौनक आई है। चेट्रीचंड्र महोत्सव में एक अलग ही उत्साह नजर आ रहा है। जो प्रशंसनीय है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमने प्रदेश के नगर निगम और नगर पालिका क्षेत्रों में चेट्रीचण्ड्र महोत्सव के दिन सामान्य अवकाश की घोषणा की है। इसकी मांग सिंधी समाज द्वारा लंबे अरसे से की जा रही थी। जिसमें उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए यह घोषणा की गई। इस अवसर पर समाज की ओर से भी मुख्यमंत्री बघेल को प्रतीक चिन्ह भेंटकर उनका सम्मान किया गया।

पूरा चौराहा लोगों की भीड़ से भरा रहा।
पूरा चौराहा लोगों की भीड़ से भरा रहा।

अब जानिए क्या है चेट्रीचंड्र पर्व
चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष की शुरुआत होती है। इसे चेट्रीचंड्र के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास को सिंधी में चेट कहा जाता है और चांद को चण्डु। इसलिए चेट्रीचंड्र को चैत्र का चांद भी कहा जाता है।

इस पर्व से जुड़ी खास बातें

  • सभी त्योहारों की तरह इस पर्व के पीछे भी पौराणिक कथाएं हैं। चेट्रीचंड्र को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है।
  • उपासक भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसांई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल समेत कई नामों से भी पूजते हैं। भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है। इसलिए लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें एक लोटे से जल और ज्योति प्रज्वलित की जाती है और इस मंदिर को श्रद्धालु चेट्रीचंड्र के दिन अपने सिर पर उठाते हैं, जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है।