धनतेरस की शाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद खरीदारी करने राजधानी के सबसे पुराने बाजार पहुंचकर उन्होंने स्थानीय कुम्हारों से मिट्टी के दीये, मटकी, गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की मिट्टी की बनी मूर्ति, ग्वालिन की मूर्ति खरीदी। वहां के गुजराती मिष्ठान्न भंडार से मिठाईयां खरीदी। उसके बाद वे लाखे नगर स्थित हिन्द स्पोर्टिंग मैदान पहुंचे। यहां पटाखे खरीदे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शाम को विधायक विकास उपाध्याय, कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर और दूसरे नेताओं के साथ बाजार करने पहुंचे। गोल बाजार में स्थानीय दुकानदारों ने लौंग-इलाइची से मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
बाद में मुख्यमंत्री ने मिट्टी के बर्तनों, प्रतिमाओं आदि की खरीदी की। उसके बाद मुख्यमंत्री ने दिवाली पूजन की सामग्री भी खरीदी। गुजराती मिष्ठान भंडार से दिवाली की मिठाई, ऑरेंज बर्फी, मिल्क केक और फल्ली दाने की चक्की भी खरीदी। वहां से निकलकर मुख्यमंत्री हिंद स्पोर्टिंग ग्राउंड के पटाखा बाजार पहुंचे।
वहां उन्होंने लगभग एक हजार रुपए के पटाखे खरीदें। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने लोगों से छत्तीसगढ़िया उत्पाद खरीदने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा, मिट्टी के दीये हमारे कुम्भकार बंधुओं द्वारा बड़ी ही लगन और मेहनत से तैयार किये जाते हैं।
वे इस इस आशा के साथ इसे तैयार करते हैं कि दीपावली के अवसर पर लोग उनके दीये खरीदेंगे और दीवाली में जलायेंगे। मिट्टी का दीया खरीदने से कुम्भकार बंधुओं की मेहनत का प्रतिफल उन्हें मिलेगा और हम सबके सहयोग से उनकी दीवाली भी धूम-धाम से मनेगी।
मुख्यमंत्री से पैसे नहीं लेना चाहते थे दुकानदार
खरीददारी के दौरान कई दुकानदार सीएम से पैसे नहीं लेना चाहते थे। मुख्यमंत्री ने भी साफ कह दिया कि वे बिना रुपए दिए कोई सामान नहीं खरीदेंगे। एक दुकानदार प्रमीन बाई ने कहा, आप प्रदेश के खेवैया हैं, पालनहार हैं हम आपसे कैसे पैसे ले सकते हैं। पर सीएम ने सभी वस्तुओं का मोल चुकाया। हालांकि उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि ज्यादा रेट तो नहीं लगा रहे हो ना। ज्यादा पैसे मत लेना। व्यापारी राशिद इकबाल बबलेश और असीमुद्दीन पप्पू ने मुख्यमंत्री को पीतल का दीया भेंट किया। वे करीब चालीस मिनट तक गोल बाजार में रहे।
सुबह घर के द्वार पर धान की बालियां बांधी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप धनतेरस पर अपने निवास के दरवाजे पर धान की झालर बांधने की रस्म पूरी की। जब नयी फसल पककर तैयार हो जाती है, तब ग्रामीण धान की नर्म बालियों से कलात्मक झालर तैयार करते हैं। इनसे घरों की सजावट कर वे अपनी सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा लोक विश्वास है कि उनका यह आमंत्रण उन चिड़ियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने आंगन और द्वार पर उतरती हैं।
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