छत्तीसगढ़ के मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगा खैरागढ़ अपने इतिहास में पहली बार सबसे बड़ी चुनावी सरगर्मी देख रहा है। यहां विधानसभा के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। इसमें हार-जीत से सरकार के समीकरण नहीं बदलने वाले। लेकिन आम चुनाव से ठीक एक साल पहले हो रहे इस उपचुनाव से राजनीतिक परसेप्सन बदलने की उम्मीद सभी को है। इसी का असर है कि जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रत्येक तीन-चार किमी की दूरी पर जनसभा कर रहे हैं। उनके मंत्री बूथों तक पहुंच रहे हैं। वहीं भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे लोग घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं।
राजनांदगांव की ओर से जैसे ही खैरागढ़ विधानसभा की सीमा में घुसते हैं, तभी विभिन्न राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के झंडे दिखने लगते हैं। पुलिस ने एक चेकपोस्ट भी बना रखा है। इसके अलावा मुख्य सड़क पर ऐसा कुछ नहीं दिखता जिसे असामान्य कहा जा सके। खैरागढ़ कस्बे में लोगों का कामकाज सामान्य है। लेकिन यहां असामान्य रूप से बड़ी-बड़ी गाड़ियों की भीड़ बढ़ गई है। राजनीतिक दलों के प्रदेश स्तरीय सभी बड़े नेता इस समय खैरागढ़ में मौजूद हैं। कांग्रेस ने एक होटल को ही पार्टी का केंद्रीय कार्यालय बना लिया है। उनके पदाधिकारी और कार्यकर्ता वहां ठहरे हुए हैं। उसका पता कांग्रेस भवन के तौर पर दिया जा रहा है। मंत्री और पदाधिकारी वहां रणनीतिक बैठक कर रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया की यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई है। नियमित प्रचार अभियान की निगरानी और चुनावी संसाधनों का प्रबंधन भी वहीं से हो रही है।
वहां से छुई खदान की ओर बढ़ने पर 100 मीटर के फासले पर ही भाजपा ने अपना कार्यालय बना रखा है। यह दो हिस्सों में है। पहला केंद्रीय कार्यालय हैं। यहां भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और चुनाव अभियान के प्रभारी खूबचंद पारख कुछ कार्यकर्ताओं के साथ बैठे हैं। उसके ठीक सामने की गली में एक और कार्यालय है। यहां पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल मोर्चे पर हैं। रायपुर से गई अपनी पूरी टीम के साथ। उनकी मेज पर मतदाता सूची से लेकर बूथवार संगठन कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का विवरण है। तेजी से निर्देश जारी हो रहे हैं। अग्रवाल की एक टीम थोड़ी देर पहले ही खैरागढ़ नगर पालिका के एक वार्ड में जनसंपर्क कर लौटी है। कुछ अन्य क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की एक टीम को ब्रीफ के साथ रवाना करने के बाद बृजमोहन अग्रवाल एक दूसरे वार्ड में पदयात्रा के लिए निकल जाते हैं।
चुनावी सभाओं का चक्रव्यूह
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले तीन दिनों से लगातार खैरागढ़ में जनसभाएं कर रहे हैं। गुरुवार को करीब 9-10 किमी के दायरे में उनकी तीन जनसभाएं हुईं। सबसे पहली सभा छुईखदान जाने वाली मुख्य सड़क पर पिपरिया में हुई। कांग्रेस के आधा दर्जन मंत्री, करीब 25 विधायक और बड़ी संख्या में पदाधिकारी यहां पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री किसानों के लिए अपने काम गिनाते हैं। नए वादे दोहराए जाते हैं और तेजी से सभा खत्म कर अगले ठिकाने के लिए काफिला निकल पड़ता है। अगली सभाएं अमलीडीह और बाजगुड़ा में हुई। सबसे आखिरी सभा मंडला में होती है। तब तक शाम हो चुकी है। मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर रात को नहीं उड़ सकता तो सड़क मार्ग से वापस लौटने का फैसला होता है। शुक्रवार दोपहर से शाम तक जालबांधा, झुरानदी, खुड़मुड़ी और बीरूटोला में जनसभाएं प्रस्तावित हैं।
केंद्रीय मंत्री की नुक्कड़ सभाएं
केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल तीसरे दिन भी खैरागढ़ में जमे रहे। सांसद संतोष पाण्डेय के साथ भाजपा ने उन्हें लोधी बहुल इलाकों में उतारा है। भाजपा की रणनीति नुक्कड़ सभाओं और जनसंपर्क के जरिए पैठ बनाने की है। गुरुवार को उनका फोकस खैरागढ़ जनपद के ग्रामीण इलाकों पर रहा। यहां उन्होंने विजलदेही और जालबांधा में नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया है। केंद्रीय मंत्री भाेरमपुर कला गांव में जनसंपर्क के लिए भी पहुंचे। उन्होंने घर-घर जाकर भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगा। भाजपा के प्रचार के लिए शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यहां पहुंच रहे हैं। उनको साल्हेवारा और वहीं के कोपेभांठा में चुनावी जनसभा को संबोधित करना है।
सीमावर्ती गांवों तक माहौल
खैरागढ़ से डोंगरगढ़ जाने वाली सड़क पर एक गांव है मारूटोला कला। खैरागढ़ की सीमा खत्म होने के बाद डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र का पहला गांव। गांव पूरी तरह सूना है। एक छोटी सी दुकान पर मिलते हैं गेंदलाल वर्मा। करीब 65 साल की उम्र वाले गेंदलाल ने कई चुनाव देखे हैं। बताते हैं, गांव से बाजारों तक इस चुनाव की चर्चा है। जिला बनाने की घोषणा ने उनके गांव की भी उत्सकुता बढ़ा दी है। उनके गांव वालों को भी लगता है कि अगर खैरागढ़ जिला बना तो उनका गांव भी उसकी सीमा में शामिल हो सकता है। दूसरे गांवों में भी पार्टियों और उनके वादों को लेकर इसी तरह की चर्चाएं आम हो चली हैं।
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