रायपुर में पाकिस्तानी मूल के धार्मिक और सामाजिक संगठन दावते इस्लामी को जमीन दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया। अब इस मामले में जिला प्रशासन की तरफ से सफाई जारी की गई है। कहा गया है कि दावते इस्लामी को कोई जमीन नहीं दी जा रही है।
दरअसल अखबार का एक इश्तिहार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया था। जिसमें दावते इस्लामी की तरफ से 10 हेक्टेयर जमीन रायपुर के बोरियाखुर्द में मांगी गई थी। यह जमीन सामुदायिक भवन के लिए मांगी गई थी। इश्तिहार में जमीन दिए जाने पर दावा आपत्ति की बात की गई थी। रविवार को ही भारतीय जनता पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस पूरे मामले में सवाल खड़े किए थे और कहा था कि आखिर किस वजह से इस संगठन को आनन-फानन में यह जमीन बांटी जा रही है।
मामले में किरकिरी हुई तो जिला प्रशासन ने सफाई जारी की है। कहा गया है कि 10 हेक्टेयर जमीन दावते इस्लामी को नहीं दी जा रही है। संगठन ने आवेदन 10 हजार वर्ग फीट जमीन के लिए किया था, इस आवेदन को भी निरस्त कर दिया गया है।
रायपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने स्पष्ट किया है कि संस्था दावते इस्लामी आवेदन निरस्त कर इस मामले की फाइल क्लोज की जा चुकी है। उन्होंने बताया है कि आवेदक संस्था दावते इस्लामी की ओर से सय्यद कलीम ने सामुदायिक भवन के लिए बोरियाखुर्द 10 हेक्टेयर मांगी थी। इसके लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय में 28 जनवरी 2021 को आवेदन दिया गया था।
आवेदन मिला तो अतिरिक्त तहसीलदार ने इश्तिहार जारी किया। इसके बाद कलीम ने अपना आवेदन ये कहकर वापस लिया कि गलती से उनके द्वारा रकबा 10 हेक्टेयर लिखा गया है, जबकि उन्हें केवल 10 हजार वर्ग फुट की ही आवश्यकता है। उनके द्वारा आवेदन पत्र में खसरा नंबर भी गलत लिखा गया है।
नियम यह है कि 10 हजार वर्ग फुट भूमि आबंटन तहसीलदार या जिला स्तर पर नहीं किया जा सकता है। इस तरह के फैसले शासन स्तर पर लिए जाते हैं । इसलिए आवेदन और इस पूरे मामले को ही निरस्त कर दिया गया। अब इश्तिहार प्रकाशन में हुई त्रुटि के लिए प्रभारी अधिकारी भू आवंटन और अतिरिक्त तहसीलदार को नोटिस जारी किया जा रहा है।
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