दुनियाभर में सुर्खियां बटोरने वाली क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी अब छत्तीसगढ़ में भी जनरेट की जा रही है, यानी राज्य में इसकी माइनिंग शुरू हो गई है। यहां इसे कई ताकतवर कम्प्यूटरों के जरिए खास तरह के पजल्स को सॉल्व करके बनाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक राज्य में लोगों के पास 75 से अधिक बिटकॉइन हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
भास्कर की दो महीने की पड़ताल में यह बात सामने आई कि प्रदेश के 12 जिलों में क्रिप्टो माइनिंग हो रही है। इनमें रायपुर, राजनांदगांव, भिलाई, दुर्ग, अम्बिकापुर, बिलासपुर, रायगढ़ और जगदलपुर प्रमुख हैं। प्रदेश के 20 युवा 30000 मेगा हैश पॉवर जेनरेट कर रहे हैं और 10-12 तरह की क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग की जा रही है। इसके लिए इनोवेटिव सोच वाले युवाओं ने तगड़ा खर्च कर सेटअप स्थापित कर रखा है।
12वीं ड्रॉपआउट प्रकाश कर रहे 1200 GPU से माइनिंग
भास्कर टीम क्रिप्टो की माइनिंग करने वालों की तलाश में 2 माह से जुटी थी। रायपुर के छोटे-बड़े कंप्यूटर दुकानदार, ग्राफिक्स कार्ड सेलर से लेकर कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर से बात की। इनसे मिली जानकारियों के आधार पर 28 मई, शनिवार को भास्कर टीम राजनांदगांव जिले के अर्जुनी से लगे सुखरी गांव में प्रकाश टांक से मिली, जो नीबू-केले की खेतों के बीच 600 GPU का सेटअप लगाकर क्रिप्टो माइनिंग कर रहे हैं।
12 वीं की पढ़ाई के बाद प्रकाश ने 6 साल पहले 1 GPU के साथ माइनिंग शुरू की थी। आज उनकी 2 साइट में 1,200 GPU लगे हैं। एक की कीमत 1 से 1.50 लाख रुपए है। प्रकाश के अनुसार 600 GPU से प्रतिमाह 4000 मेगा हैश पावर जनरेट होती है। यह एशिया के नैनो पूल और माइनिंग पूल में जाती है। वहां से माइनिंग के रिवार्ड के तौर पर इथेरियम मिलता है। इसे भारत के किसी भी क्रिप्टो एक्सचेंज में बेचकर 10 मिनट में पैसे आपके बैंक एकाउंट में आ जाते हैं।
600 GPU से महीने में 2 इथेरियम बनते हैं। एक की कीमत 1.5 से 2 लाख रुपए है। यह रूस-यूक्रेन युद्ध के पहले इसकी कीमत 4 लाख से अधिक थी। प्रकाश कहते हैं कि भविष्य डिजिटल करेंसी का ही है। छत्तीसगढ़ सरकार मदद करे तो रायपुर में ही ब्लॉकचेन डाटा एंड एजुकेशन सेंटर और क्रिप्टो एक्सचेंज भी ला सकते हैं। इससे युवाओं को ब्लॉकचेन की शिक्षा मिलेगी, रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और युवा बाहर नहीं जाएंगे।
राज्य में 10 हजार से ज्यादा इनवेस्टर्स
प्रदेश में क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन का अपडेट रिकार्ड नहीं है, लेकिन इससे जुड़े लोगों के अनुसार प्रदेश में 2016 से 2020 के बीच 70 हजार बिटकाॅइन का लेनदेन हो चुका है। पिछले डेढ़ साल का रिकार्ड अभी उपलब्ध नहीं है। अब यहां इनवेस्टर्स की संख्या बढ़कर 10 हजार से अधिक हो गई है।
जानकारों के मुताबिक प्रदेश में क्रिप्टो का चलन बढ़ रहा है और अब तक ठगी के मामले सामने नहीं आए हैं। केंद्र सरकार ने इसे नियमों में बांधने की घोषणा की है, लेकिन अब तक नियम जारी नहीं हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के बजट भाषण में कहा था कि रिजर्व बैंक जल्दी ही डिजिटल रुपया लांच करेगा, लेकिन अभी यह भी नहीं आया।
बिटकॉइन पहली करेंसी जिसकी माइनिंग 140 साल चलेगी
जापान के सातोशी नकामोटो क्रिप्टो के जनक हैं। शुरुआत 9 जनवरी 2009 को डिजिटल करेंसी बिटकॉइन के रूप में की थी। इसमें ऐसी प्रोग्रामिंग की गई है कि माइनिंग 140 साल तक चलेगी। इसमें 2.10 करोड़ बिटकॉइन हैं। प्रकाश टांक के मुताबिक हर 10 मिनट में एक ब्लॉक बनता है। 1 ब्लॉक में 50 बिटकॉइन निकलते थे, हर 4 साल में इसकी माइनिंग आधी हो जाती है।
जैसे 2009 में हर 10 मिनट में 50 बिटकॉइन माइनिंग से निकाल कर दुनिया में आते थे। आज 10 मिनट में सिर्फ 6.25 बिटकॉइन ही निकल रहे हैं, क्योंकि पजल्स कठिन होती जा रही हैं। इसे टेक्निकल भाषा में माइनिंग डिफिकल्टी बढ़ना भी कहते हैं।
दरअसल बिटकाॅइन ही दुनिया की सबसे पसंदीदा क्रिप्टो करेंसी है। इसके बाद इथेरियम, बी न बी, सोलाना, गाला, तिथर, लाइटक्वाइन और डॉजक्वाइन का नंबर आता है। छत्तीसगढ़ में आज 75 हजार से ज्यादा क्रिप्टो होल्टर हैं, जिनके पास यह करेंसी है। एक बिटकॉइन की वर्तमान कीमत लगभग 24 लाख रुपए तथा इसके बाद एथिरियम का रेट 1.50 लाख रुपए है।
माइनिंग सेटअप का तगड़ा खर्च
केवल GPU में ही 6 करोड़ का इन्वेस्टमेंट है। अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का खर्च अलग से। इसमें हर महीने 30-40 किलो वाट बिजली की खपत होती है, यानी 1 लाख रुपए महीने का बिजली बिल। 24 घंटे सातों दिन हाई स्पीड इंटरनेट जरूरी है। प्रदेश में जो सिस्टम लगा है, उस पर नजर रखने के लिए 3 युवा ITI डिप्लोमा होल्डर ड्यूटी पर लगे हैं। इन पर होने वाला खर्च भी इसी में शामिल है।
ऐसी है क्रिप्टो की दुनिया
1. क्रिप्टो करेंसी क्या है ?
यह एक डिजिटल करेंसी है। न हम इसे छू सकते हैं, न ये दिखाई देती है। इसका पूरा कारोबार ऑनलाइन होता है। क्रिप्टो करेंसी का लेनदेन पूरी दुनिया में हो रहा है, हालांकि इसमें शामिल होने वाले अभी सीमित हैं। इसे जानने के लिए क्रिप्टो माइनिंग को समझना होगा।
2. क्या है क्रिप्टो माइनिंग ?
बड़े कंप्यूटर, एसिक मशीन, ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) से कनेक्ट होते हैं और खास फॉर्मूले यानी एल्गोरिथम, प्रॉब्लम और सरल भाषा में कहें तो पहेली को हल करते हैं और काॅइन जनरेट करते हैं। इसे ही माइनिंग कहते हैं। क्रिप्टो करेंसी इसी से बनती है।
3. कहां है इसका बाजार ?
क्रिप्टो करेंसी से आज दुनियाभर में लेन-देन हो रहा है। इसे दो तरह से खरीद सकते हैं, जिसमें महत्वपूर्ण है क्रिप्टो एक्सचेंज। दुनियाभर इसके एक्सचेंज हैं। भारत में वजीरएक्स, जेबपे, क्वाइनस्विच कुबेर प्रमुख एक्सचेंज है, ये 24 घंटे चलते हैं।
इकानॉमी की क्रांतिकारी तकनीक: एक्सपर्ट
ब्लॉकचेन एक डिजिटल बहीखाता है। इसके ट्रांजैक्शन चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देते हैं। यह क्रिप्टोकरेंसीज की बैकबोन है। ब्लॉकचेन को भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा है। इसमें इंटरनेट, पर्सनल ‘की’ की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है। क्रिप्टो-करेंसियों के अलावा ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग सूचना प्रौद्योगिकी, डाटा प्रबंधन और सरकारी योजनाओं का लेखा-जोखा, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में होता है।
-डॉ. पद्मावती श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग, BIT, रायपुर
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