छत्तीसगढ़ में हाथियों का उत्पात रोकने के लिए वन विभाग ने हाथी प्रभावित इलाकों में खुले में धान रखना शुरु कर दिया है। प्रायोगिक तौर पर शुरू किए गए इस अभियान को सूरजपुर में सफलता भी मिली है जहां हाथी पांच अलग-अलग बीट में रखे 20 क्विंटल धान खा गए। इसके बाद अन्य इलाकों में भी इसे रखने की तैयारी की जा रही है।
हाथियों को धान खिलाने को लेकर मचे बवाल के बीच वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सूरजपुर, धरमजयगढ़ और बालोद वन मंडलों में हाथी के लिए धान रखा गया था। इसमें सूरजपुर वन मंडल के तीन क्षेत्रों में हाथी दल को धान खिलाने का प्रयोग सफल रहा है। अकबर ने बताया, सूरजपुर वन मंडल में 22 जुलाई को अलग-अलग पांच बीट में कुल 20 क्विंटल धान रखा गया था। इसमें से बंशीपुर, टुकुडांड और बगड़ा में हाथी ने रखा हुआ 14 क्विंटल धान खाया है। लेकिन दरहोरा और धरमपुर में रखा धान वैसे ही पड़ा है। धरमजयगढ़ के लोटान औैर बेहरामपुर औैर हाटी तथा बालोद के गोटुलमुड़ा, जबकोरा औैर मंगलतराई में धान रखा गया, लेकिन हाथियों ने इसे नहीं खाया। 16 दल घूम रहे हैं : वन मंत्री ने बताया, प्रदेश में 16 प्रमुख दलों में 307 हाथी प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में मौजूद हैं। हाथियों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में प्रमुख रूप से रेहन, तमोर-पिंगला, बादलखोल अभयारण्य, प्रतापपुर, रघुनाथपुर, तपकरा, कुनकुरी, मनोरा, दुलदुला, छाल, धरमजयगढ़, शामिल हैं।
खाद्य विभाग देगा धान, अलर्ट सिस्टम से लोगों को सूचना
बताया गया है कि वन विभाग इसके लिए धान की अलग से खरीदी नहीं करेगा बल्कि खाद्य विभाग ने जो धान खरीदा है वही वन विभाग को हस्तांतरित करेगा। इसके लिए रहवासी क्षेत्रों को जंगली हाथियों से बचाने पहले अलर्ट सिस्टम के जरिए ग्रामीणों को हाथियों के आगमन की सूचना दी जाएगी। इसके बाद गांव में धान के बोरों को खोलकर हाथी दल के विचरण मार्ग में रखा जाएगा ताकि गांव के बाहर ही भोजन पाने के बाद हाथी मकानों को क्षतिग्रस्त न करें। ऐसा उन्हीं क्षेत्रों में किया जाना है जहां हाथियों की मौजूदगी है।
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