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छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के चुनाव में विवाद का ट्विस्ट आ गया है। चुनाव में भाजपा के पूर्व सांसद सोहन पोटाई के गुट ने खुद को आम सहमति से विजेता घोषित कर दिया। दूसरे गुट की आपत्ति के बाद चुनाव अधिकारी ने समाज की कार्यकारिणी के चुनाव को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। समाज के निवृत्तमान प्रांतीय अध्यक्ष बीपीएस नेताम ने बताया, चुनाव की तिथियां बाद में घोषित की जाएंगी।
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज की कार्यकारिणी का चुनाव तीन वर्ष में होता है। पिछले वर्ष बीपीएस नेताम की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा हो गया। कोरोना प्रतिबंधों की वजह से चुनाव नहीं हो पाये। कोरोना प्रतिबंधों में ढिलाई के बाद रविवार को चुनाव होना तय हुआ था। रायपुर के बंजारी धाम में समाज के लोग जुटे तो चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ी। इस दौरान दो गुट सामने आये।
एक गुट ने परंपरा के मुताबिक आम सहमति से पदाधिकारी चुनने पर जोर दिया। दावा किया गया कि अधिकतर जिलों के प्रतिनिधियों ने आम सहमति से सोहन पोटाई को प्रांतीय अध्यक्ष, बीएस रावटे को कार्यकारी अध्यक्ष, एनएस मंडावी को महासचिव, सुभाष सिंह पोर्ते को युवा प्रभाग के प्रांतीय अध्यक्ष और सविता सर्वे को महिला प्रभाग की प्रांतीय अध्यक्ष चुन लिया गया।
इसकी जानकारी होने पर बसंत कुजूर, वंदना उइके, मदन कर्पे के दूसरे गुट ने आपत्ति की विधिवत मतदान कराने की मांग की। विवाद की स्थिति देखकर चुनाव अधिकारी रिटायर्ड IPS अकबर कोर्राम ने चुनाव को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया।
विवाद बढ़ा तो सामने आये निवृत्तमान अध्यक्ष
शाम तक चुनाव को लेकर समाज के दोनों गुटाें का विवाद बढ़ गया। समाज के बीच चुनाव को लेकर दो तरह के दावे तैरने लगे। देर शाम सर्व आदिवासी समाज के निवृत्तमान प्रांतीय अध्यक्ष बीपीएस नेताम सामने आये। उन्होंने कहा, चुनाव को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
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