छत्तीसगढ़ में अब अक्षय तृतीया यानी अक्ती को "माटी पूजन दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। राजधानी रायपुर में 3 मई को इसका राज्य स्तरीय आयोजन होगा। वहीं जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर ऐसे आयोजनों में मंत्री-विधायक और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद प्रशासन ने इसकी तैयारी तेज कर दी है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को बताया, छत्तीसगढ़ के अलग-अलग अंचल में किसी न किसी रूप में माटी तिहार या माटी की पूजा करने की परंपरा रही है। बस्तर में चैत्र नवरात्रि के समय से ही माटी की पूजा की जाती है। मैदानी हिस्सों में भी अक्षय तृतीया के दिन दोना में बीज लेकर अगरबत्ती, नारियल, मिठाई सब लेकर लोग जाते हैं। खेत में भूमि की पूजा की जाती है। इसी के साथ नया साल शुरू होता है।
रासायनिक की जगह जैविक पदार्थों को देंगे बढ़ावा
अधिकारियों ने बताया, छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल कर रही है। इस कड़ी में मिट्टी की उर्वरा शक्ति के पुनर्जीवन के लिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के स्थान पर वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही गौ-मूत्र एवं अन्य जैविक पदार्थों के उपयोग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य किया जा रहा है। इस वर्ष माटी पूजन दिवस मनाने का महा अभियान प्रारंभ किया जा रहा है।
माटी पूजन के सरकारी आयोजन में यह होगा
राजधानी रायपुर में राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। वहीं सभी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर परम्परागत रूप से माटी पूजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में जिलों के प्रभारी मंत्री, विधायक, त्रिस्तरीय पंचायतों के जनप्रतिनिधि सहित किसान और दूसरे गणमान्य लोग शामिल होंगे।
माटी पूजन कार्यक्रम में धरती माता की रक्षा की शपथ ली जाएगी और मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया जाएगा। पर्यावरण से जुड़े इस महत्वपूर्ण आयोजन में सामाजिक संगठनों तथा विद्यालय व महाविद्यालय के विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित करने को कहा गया है।
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