हसदेव अरण्य को बचाने की मांग लेकर सरगुजा-कोरबा से पैदल चलकर राजधानी पहुंचे आदिवासी ग्रामीणों के लिए गुरुवार को राजभवन के दरवाजे खोल दिए गए। राज्यपाल अनुसूईया उइके ने 200 ग्रामीणों को बुलाकर बातचीत की। उन्होंने कहा, आदिवासियों के साथ अब तक जो हुआ उसे अब आगे नहीं होने दूंगी।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष उमेश्वर सिंह आर्मो, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला और जिला किसान संघ के नेताओं साथ ग्रामीण राजभवन पहुंचे। वहां उन्हें लॉन में बिठाया गया। राज्यपाल ने सभी की बात सुनी। इस दौरान ग्रामीणों ने बताया, उनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें बांगो बांध बनाने के लिए उनके पुश्तैनी घरों से हटाया गया था। पिछले कई वर्षों से कोयले के नाम पर उनको फिर विस्थापित करने की कोशिश हो रही है। जब से कोयला ब्लॉक आवंटन और नीलामी आदि की प्रक्रिया शुरू हुई है, ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
ग्राम सभाओं ने बकायदा प्रस्ताव पारित कर इनका विरोध किया है। इसके बाद भी फर्जी ग्राम सभाओं की सहमति बताकर परियोजनाओं को स्वीकृति दिलाई गई है। अब उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। ग्रामीणों की बात सुनने के बाद राज्यपाल ने कहा, आदिवासियों के साथ जो हुआ उसे अब मैं नहीं होने दूंगी। आपकी मांग पर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करूंगी। दिल्ली में कोयला मंत्री और प्रधानमंत्री मोदी से बात करूंगी। सरगुजा और कोरबा जिले के ग्रामीण 4 अक्टूबर से पैदल ही रायपुर की पदयात्रा पर निकले थे। बुधवार को यह पदयात्रा रायपुर पहुंची तो मुख्यमंत्री से मिलने का समय नहीं मिला। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात का समय दिया था, जिसे बाद में गुरुवार के लिए टाल दिया गया। राज्यपाल ने सभी ग्रामीणों से मिलने की इच्छा जताई और 200 लोगों को मिलने की इजाजत मिल गई।
जंगल बचाने का ज्ञापन सौंपा
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपकर जंगल बचाने की मांग की। उनका कहना था, वहां पेसा कानून लागू कर ग्राम सभाओं को निर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। उस जंगल को लेमरु हाथी रिजर्व में शामिल कर संरक्षित किया जाना चाहिए। राज्यपाल अनुसूईया उइके ने कहा, जो आवेदन मिला है उसका अध्ययन कराउंगी।
यह मांगे लेकर राजभवन पहुंचे थे आदिवासी ग्रामीण
- हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना निरस्त की जाए।
- बिना ग्रामसभा की सहमति के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त किया जाए।
- पांचवी अनुसूची क्षेत्र में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति के प्रावधान लागू किए जाएं।
- परसा कोल ब्लाक के लिए ग्राम सभा फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति को तत्काल निरस्त किया जाए और ऐसा करने वाले अधिकारी और कम्पनी पर FIR दर्ज हो।
- घाटबर्रा गांव के निरस्त सामुदायिक वन अधिकार को बहाल करते हुए सभी गांवों में सामुदायिक वन अधिकार और व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता दी जाए।
- अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून का पालन कराया जाए।
कल से बस्तर जा रही हैं राज्यपाल
राज्यपाल अनुसूईया उइके 15 अक्टूबर से तीन दिन के बस्तर प्रवास पर रहेंगी। राजभवन से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यपाल दोपहर 2.25 बजे के नियमित विमान से जगदलपुर जाएंगी। शाम 4 बजे वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मुलाकात करेंगी। शाम 5.30 बजे वे राजमहल परिसर स्थित माईं दंतेश्वरी का दर्शन और पूजन-अर्चना करेंगी। राज्यपाल, बस्तर दशहरा में भीतर रैनी के दिन संचालित होने वाले आठ चक्के के विजय रथ की परिक्रमा में शामिल होगी। 16 अक्टूबर को जगदलपुर के कुम्हड़ाकोट में होने वाले नुआखाई कार्यक्रम में भी शामिल होंगी। राज्यपाल 17 अक्टूबर को 12.30 बजे की नियमित उड़ान से रायपुर लौटेंगी।
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