छत्तीसगढ़ में बहुत सी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया अटकी हुई है। कुछ में रिजल्ट जारी नहीं किए जा रहे तो कुछ को लेकर कंफ्यूजन है। मगर उम्मीद की जा रही है कि आगामी सप्ताह 5 दिसंबर से काफी हद तक स्थिति स्पष्ट होगी। बहुत मुमकिन है कि इस महीने रुकी भर्ती प्रक्रियाएं भी शुरू हो जाएं। दरअसल आरक्षण पर लगी अदालती रोक की वजह से ये हालात बने हैं। प्रदेश की सरकार आरक्षण पर नया कानून लाई है।
सोमवार काे इस कानून पर राज्यपाल अनुसुईया उइके हस्ताक्षर करेंगी। इसके बाद प्रदेश में नई आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। शुक्रवार की रात प्रदेश सरकार के मंत्री रविंद्र चौबे, मो.अकबर विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करने के बाद इसे राज्यपाल के पास खुद लेकर गए थे। अब तक राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उनकी साइन के बाद ही ये कानून लागू होगा।
क्यों नहीं किया साइन, राज्यपाल ने दिया जवाब
विधेयक पर हस्ताक्षर को लेकर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने शनिवार को मीडिया को जवाब दिया। वो रायपुर में एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थीं। उन्होंने कहा- विधेयक जब मेरे पास आता है तो उसके बारे में पूरी तरह से परीक्षण किया जाता है। पूरा प्रोसीजर फॉलो होता है, सचिवलाय से लीगल एडवाइजर के पास जाता है वो देखते हैं आखिर में मेरे पास भेजते हैं। ऐसा नहीं है कि विधानसभा में विधेयक पास हुआ और मैं साइन कर दूं।
आज तो शनिवार है। मेरे लीगल एडवाइजर अपने परिजन की शादी की वजह से छुट्टी पर हैं। संडे बीतेगा मंडे को मैं हस्ताक्षर करूंगी। मैंने तो पहले ही कहा है कि इस मामले में मेरा सकारात्मक सहयोग मिलेगा। मैं शासन और विपक्ष के सभी नेताओं को धन्यवाद देती हूं । राज्यपाल से ये पूछे जाने पर कि आरक्षण की वजह से रुकी भर्तियों का क्या होगा, उन्होंने जवाब दिया- इस महीने से सब शुरू हो जाएगा, हस्ताक्षर के बाद नोटिफिकेशन जारी होगा और प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा द्रुत गति से होगा काम
दूसरी तरफ भी सरकार भी इसी इंतजार में है कि राज्यपाल हस्ताक्षर करें और आरक्षण की वजह से अटकी प्रक्रियाएं फिर से शुरू हों। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में ही बयान देते कहा- राज्यपाल के हस्ताक्षर का इंतजार है द्रुत(तेज) गति से सारे काम होंगे।
ये भर्तियां अटकी हुई हैं
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम रोक दिया है। वहीं राज्य वन सेवा के साक्षात्कार टाल दिये गये हैं। स्कूल में 12 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी खटाई में है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा के 171 पदों पर इस साल परीक्षा ली थी। मुख्य परीक्षा में सफल 509 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। यह साक्षात्कार 20 से 30 सितम्बर के बीच चला। वहीं 8 से 21 अक्टूबर तक प्रस्तावित राज्य वन सेवा परीक्षा के साक्षात्कार को टाल दिया गया है। इस परीक्षा से 211 पदों पर भर्ती होनी थी।
उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर को फैसला सुनाया था
बिलासपुर उच्च न्यायालय ने गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बनाम राज्य सरकार के मुकदमे में 19 सितम्बर को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले में अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार के उस कानून काे रद्द कर दिया जिससे आरक्षण की सीमा 58% हो गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 सितम्बर को सभी विभागों को अदालत के फैसले की कॉपी भेजते हुए उसके मुताबिक कार्रवाई की बात कही। उसी के बाद आरक्षण को लेकर भ्रम का जाल फैलना शुरू हो गया। हालांकि अब नए कानून के आने की उम्मीद से हालात बदलने के आसार हैं।
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राज्यपाल अनुसुईया उइके बोलीं-विशेष सत्र बुलाने को मैंने कहा था,पहले से थी मेरी सहमति
विधानसभा में संशोधित आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। राज्यपाल ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है। दैनिक भास्कर से स्पेशल इंटरव्यू में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि नया आरक्षण विधेयक को मेरा समर्थन है। लेकिन स्थानीय आरक्षण पर समीक्षा करनी होगी। जिन जिलों में जाे जाति बाहुल्य हैं, स्थानीय भर्तियों में उन्हें प्राथमिकता दी जाए। संविधान का पालन हो, मेरा इस पर पूरा ध्यान रहेगा।
संशोधित आरक्षण विधेयक पारित हो गया है। क्या आप इससे सहमत हैं?
संशोधित आरक्षण विधेयक को मेरे सहमति रहेगी। मैंने ही सीएम को पत्र लिख विधेयक या अध्यादेश पारित करने को कहा था। जैसे ही सत्र के लिए स्वीकृति मांगी गई, मैंने तुरंत दे दी। हालांकि सरकार चाहती तो अध्यादेश भी ला सकती थी।
वर्तमान में आरक्षण व्यवस्था क्या है, राज्य सरकार ने कई भर्तियां निकाल रखी है?
अभी सरकार को बहुत कुछ स्पष्ट करना होगा। जैसे जिले और संभाग की भर्तियों में कितना आरक्षण होगा। संविधान में कई क्षेत्रों के लिए अति पिछड़ी जनजातियों को शत प्रतिशत आरक्षण है। ऐसे में संवैधानिक हनन नहीं होना चाहिए। अभी मैं इसकी सरकार के साथ समीक्षा भी करूंगी।पढ़ें पूरी इंटरव्यू
शुक्रवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने वाले दो नये विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इसे राज्यपाल को भेजा गया है। उनके हस्ताक्षर करने के बाद विधेयक अधिनियम बन जाएंगे। असाधारण राजपत्र में प्रकाशित होते ही यह प्रदेश में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। उसके बाद ही प्रदेश में नई भर्तियों और स्कूल-कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी होगा। उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर को आये एक फैसले से छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म हो गया है।
सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा विधेयक के पारित होने के बाद आज ही हमारे वरिष्ठ मंत्री इस पर दस्तखत करने के लिए राज्यपाल के पास जाएंगे। हम सुप्रीम कोर्ट में भी क्वांटिफिएबल डाटा के साथ कोर्ट में भी अपना पक्ष रखेंगे। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से अपील करते हुए कहा, "नेता प्रतिपक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, रमन सिंह, बृजमोहन अजय चंद्राकर, बसपा और जनता कांग्रेस के विधायक संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री से मिलते हैं। इसमें दलगत बात नहीं होनी चाहिए।' इससे पहले विपक्ष इन विधेयकों के लिए संशोधन प्रस्ताव लाया।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश ही नहीं की गई। सदन को उसकी कोई जानकारी नहीं है। सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात को आरक्षण का आधार बनाया है तो बिना डाटा के कैसे आधार बना दिया। पहले डाटा पेश कर देते। फिर कानून बना लेते। सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी।पढ़ें पूरी खबर
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