नींबू ने इस साल लोगों के दांत खट्टे कर दिए हैं। एक नींबू की कीमत 10 से 15 रुपए तक पहुंच गई है। यह स्थिति तब है जब भीषण गर्मी ने डिमांड बढ़ा दी है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि 10 रुपए में 5-7 मिलने वाला नींबू भी अब आंखे तरेर रहा है। इसका जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर पहुंच गया देश की सबसे बड़ी नींबू मंडी आंध्र प्रदेश स्थित ईल्लूर में। यहीं से देश भर में 100% नींबू की सप्लाई होती है। अब यहीं 80% आवक कम हो गई है। ऐसे में दाम 6 गुना बढ़ गए हैं।
यह ईल्लूर की नींबू मंडी है और सुबह के 9 बजे से सैकड़ों किसान अपनी-अपनी गाड़ियों में नींबू लेकर पहुंच चुके हैं। वहां मौजूद एजेंट के सामने किसान अपनी बोरी से एक टोकरी नींबू निकालकर रख देते हैं। व्यापारियों की मौजूदगी में एजेंट बोली लगाते हैं और अंत में 150 रुपए किलो में सर्वाधिक बोली लगाने वाले प्रकाश को आवंटन कर दिया गया। ऐसे ही हर तरफ होता है। नींबू की नीलामी के बाद पल्लेदार इनकी 50-50 किलो की बोरियों में पैकेजिंग कर देते हैं और फिर ये ट्रकों में लोड कर दूसरे राज्यों में भेज दिए जाते हैं।
यहां से दुबई, टर्की और ओमान भी भेजा जाता है नींबू
दरअसल, देशभर में ईल्लूर से 40-45 प्रतिशत नींबू की सप्लाई होती है। वहीं आंध्र प्रदेश की तिरुपति जिले में स्थित गुडूर मंडी से भी लगभग इतनी ही सप्लाई होती है। शेष 10 प्रतिशत सप्लाई तेलानी, राजमुंदरी मंडियों से होती है। ईल्लूर मंडी में 20 हजार से अधिक नींबू उत्पादन करने वाले किसान पंजीकृत हैं। यहां से दुबई, टर्की, ओमान समेत अन्य देशों में भी नींबू जाता है। मुंबई के कारोबारी इसके लिए खरीदी करते हैं। फिलहाल सब परेशान हैं।
25 ट्रक नींबू की सप्लाई होती थी, अब सिर्फ 5 ट्रक
सामान्य सीजन की बात करें तो हर दिन 25 ट्रक (एक ट्रक में 21 टन नींबू आता है) की सप्लाई पूरे देश में होती है। जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत उत्तर भारत और मध्य भारत के सभी राज्यों में नींबू जाता है। अब स्थिति यह है कि हर दिन महज 5 ट्रक ही नींबू पहुंच पा रहे हैं। कारोबारी कहते हैं कि जब आवक ही नहीं है तो आपूर्ति कैसे करें… ईल्लूर के आसपास 20,000 एकड़ में नींबू की खेती होती है।
ऐसे समझें नींबू की कीमत
अभी 2 करोड़ का कारोबार रोजाना, पर गुणवत्ता घटी
अभी ईल्लूर मंडी से रोजाना 7 ट्रक नींबू ही देशभर में सप्लाई हो रहा है, जबकि सीजन में यह 6 गुना अधिक होता है। एक ट्रक में 21 टन नींबू आता है, इसकी कीमत 31 से 32 लाख रुपए तक है, यानी 7 ट्रक नींबू की कीमत 2.25 करोड़ रुपए तक पहुंच रही है। बाकी समय में औसत एक ट्रक की नींबू की कीमत 5 से 7 लाख रुपए ही होती है। नींबू की कीमत अधिक होने से किसान भी अधिक मुनाफे के चलते नींबू को पूरा पकने नहीं दे रहे। कच्चे और छोटे नींबू ही तोड़कर ले आ रहे हैं, जिससे क्वालिटी प्रभावित हो रही है।
आखिर आंध्र प्रदेश में ही क्यों होती है नींबू की खेती
नींबू के उत्पादन के लिए आंध्र प्रदेश की मिट्टी उपयोगी मानी जाती है। इसे लगातार पानी की आवश्यकता नहीं होती। नींबू का एक पौधा 3-4 साल में फल देना शुरू कर देता है और अगले 5 साल तक सिर्फ फर्टिलाइजर और आवश्यकतानुसार पानी इसे जीवित रखता है। नींबू के लिए धूप बेहद जरूरी है। जून-जुलाई में बारिश शुरू हो जाती है और फिर यहां से नींबू की आवक कम हो जाती है। तब महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में लोकल आवक शुरू हो जाती है।
फैक्ट फाइल
नींबू का खट्टापन बढ़ा, पर किसान खुश
ईल्लूर में 5 हेक्टेयर में नींबू की खेती करने वाले किसान ए. निरंजन ने बताया कि कोरोना काल में नींबू अच्छा हुआ, पर बाजार बंद रहने से भारी नुकसान हुआ। हम फर्टिलाइजर नहीं खरीद पाए। इसके चलते फसल अच्छी नहीं हुई। उम्मीद है कि नए फूल आएंगे तो सुधार होगा। वहीं 35 एकड़ में खेती करने वाले पैदाबेरी के किसान बी. रामकृष्णन कहते हैं कि चाहे जो हो, पर पहली बार नींबू के दाम इतने अधिक हुए हैं। किसानों को फायदा हो रहा है। हम दरों से खुश हैं।
क्वॉलिटी खराब, आवक गिरी, व्यापारी परेशान
उधर ईल्लूर मंडी में नींबू का कारोबार करने वाले व्यापारी गवा मधुसूदन राव का कहना है कि हम चाहकर भी आज की तारीख में नींबू नहीं दे सकते हैं, क्योंकि मंडियों में ही नहीं आ रहे हैं। अभी त्यौहारी सीजन चल रहा है, दाम भी अधिक हैं। मौसम की मार से क्वालिटी भी प्रभावित हुई है। वहीं ईल्लूर लेमन मार्केट के कोषाध्यक्ष मुरली कृष्णा राव कहते हैं कि अभी आवक काफी कम हो गई है। बरसात की वजह से नींबू की पैदावार काफी कम हुई है। अप्रैल में नींबू के दाम कम होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। मई में अगर आवक अच्छी हुई तो ही दाम कम होंगे।
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