छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अभनपुर ब्लॉक का मानिकचौरी गांव। कोविड संकट से निपटने की तैयारी इस गांव ने आस-पास के शहरों से पहले ही कर ली थी। अप्रैल में आई दूसरी लहर से पहले फरवरी-मार्च के महीने में ही गांव के सरकारी स्कूल को क्वारैंटाइन सेंटर के तौर पर डेवलप कर लिया गया था। मगर हालात काबू में होने की वजह से अब तक इसके गेट का ताला नहीं खुला है। एक भी व्यक्ति को यहां लाने की नौबत नहीं अब तक नहीं आई है। पंचायत के लोगों, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) से जुड़ी महिलाओं और सबसे अहम गांव के आम लोगों की बदौलत इस गांव में कोरोना विकराल रूप नहीं ले सका।
लॉकडाउन से पहले ही लोगों ने गांव के बाहर जाना बंद कर दिया था
यहां के लोगों ने लॉकडाउन के पहले से ही गांव से बाहर जाना बंद कर दिया था। अब तक ये अनुशासन जारी है। जब ग्राउंड रिपोर्ट के लिए दैनिक भास्कर की टीम गांव की गलियों में थी तो एक बुजुर्ग महिला पर नजर पड़ी। शहरों में जहां तमाम चेक पोस्ट होने के बाद भी सड़क पर लोग बिना मास्क के दिखते हैं, वहां ये महिला अकेले में बैठी गोबर के कंडे बना रही थी। मगर चेहरे पर मास्क लगा हुआ था। इन्हें यहां न तो कोई देख रहा था, न ही कोई टोकने वाला था, मगर फिर भी जागरुकता की वजह से ये मास्क लगाकर ही अपने काम में मशगूल दिखीं।
अब तक कोई गंभीर मरीज नहीं
मानिकचौरी गांव में NRLM से जुड़ीं रिसोर्स पर्सन सुनीता पाल ने बताया कि अब तक गांव में कोई बेहद गंभीर मरीज नहीं रहा है, न ही किसी की कोरोना संक्रमण से मौत हुई। यहां साल 2020 से अब तक मई 2021 तक लगभग 20 से 25 लोगों में संक्रमण पाया गया। इस वक्त 4 लोग होम आइसोलेशन में रहकर दवा ले रहे हैं, जिनका आइसोलेशन भी अगले हफ्ते पूरा हो जाएगा।
2000 की आबादी के लिए बंदोबस्त पहले से
गांव के सरपंच बुद्धेश्वर साहू ने बताया कि गांव में यदि किसी तबीयत ज्यादा बिगड़े, या श्रमिकों को अलग रखने का इंतजाम करना हो तो हमने उसके लिए क्वारैंटाइन सेंटर बनाया है। यहां पर पास के ही स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर्स की टीम अपनी सेवा देगी। पंचायत के सचिव घासुराम देवांगन ने बताया कि गांव की आबादी लगभग 2000 है। हमने इस वक्त एडवांस में दवाओं के 100 किट पंचायत में रखे हैं। ताकि किसी भी सूरत में गांव में दवा की कमी न हो। इसके अलावा मास्क सैनिटाइजर वगैरह की भी व्यवस्था है। क्वारैंटाइन सेंटर में 30 बेड की व्यवस्था जरूरत पड़ने पर हो जाएगी।
शुरुआत में जांच से डरते थे लोग फिर इन महिलाओं ने संभाला मोर्चा
जिला पंचायत के स्वामी मृत्युंजय ने गांव वालों का डर दूर करने के लिए NRLM से जुड़ी आदर्श महिला कलस्टर संगठन की महिलाओं की टीम ने मोर्चा सम्भाला। इसी टीम की सदस्य सुनीता पाल ने बताया कि शुरुआत में तो ग्रामीण टेस्ट करवाने के नाम से ही डरते थे। उन्हें लगता था कि सर्दी, खांसी होने पर जांच करवाएंगे तो रिपोर्ट पॉजिटिव ही आएगी। गांव की ही महिलाओं ने घर-घर जाकर हर रोज जब समझाना शुरू किया तो जागरूकता बढ़ी। हमारे सीनियर विवेक त्रिपाठी ने गांव को संक्रमण से बचाने का अहम जिम्मा दिया तो हमें भी इस मिशन से जुड़ कर काम करने में गर्व महसूस हुआ। अब भी हम हर रोज 15 से 20 घरों का दौरा कर परिवारों से मिलकर उन्हें जागरुक कर रहे हैं।
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