छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में खनन का विरोध तेज होता दिख रहा है। हसदेव अरण्य क्षेत्र के ग्रामीण इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने जा रहे हैं। इससे पहले 14 अक्टूबर को सरगुजा के हरिहरपुर में जंगल बचाओ सम्मेलन होना है। यहां से पारित प्रस्ताव लेकर ग्रामीण भारत जोड़ो यात्रा में चल रहे राहुल गांधी से मिलने जाएंगे।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के लोग इस जंगल बचाओ सम्मेलन के लिए प्रदेश भर में लोगों और संगठनों से मुलाकात कर रहे हैं। मंगलवार को रायपुर आये ग्रामीणों ने बताया, घाटबर्रा गांव के पास 43 हेक्टेयर का पूरा जंगल काट दिया गया है। इलाके में पुलिस तैनात है। रास्तों को बंद कर दिया गया है। इसकी वजह से घाटबर्रा गांव तक पहुंचने का मुख्य रास्ता बंद हो गया है। जो दूसरा रास्ता है उससे दूरी अधिक हो गई है। ग्रामीणों को डराया जा रहा है। इसकी वजह से प्रभावित गांवों में डर का माहौल है। इसके बाद भी खदानों के विरोध में पिछले सात महीनों से चल रहा धरना प्रदर्शन जारी है। रोज प्रभावित गांवों के सैकड़ो लोग बारी-बारी से धरने पर बैठते हैं।
फतेहपुर के मुनेश्वर सिंह पोर्ते ने बताया, प्रशासन से वे पूरी तरह निराश हैं। 14 अक्टूबर को जंगल बचाओ सम्मेलन में हम उन सभी लोगों को बुला रहे हैं जो जंगल से प्यार करते हैं। जिनको लगता है कि धरती बचाने के लिए जंगल का बचे रहना जरूरी है। इस सम्मेलन के बाद हमारा प्रतिनिधिमंडल राहुल गांधी से मिलने भारत जोड़ो यात्रा में जाएगा। यह मुलाकात कहां होगी यह उस समय राहुल गांधी की उपस्थिति को देखकर तय किया जाएगा। वहां जाकर हम लोग अपने साथ हो रही ज्यादती की बात बताएंगे। वहां हम नारा देंगे-हसदेव छोड़ो-भारत जोड़ो। राहुल गांधी पिछली बार जब हमारे यहां आये थे तो उन्होंने कहा था कि जल, जंगल, जमीन पर उनका अधिकार कोई नहीं छीन सकता। यह बात भी उन्हें याद दिलाएंगे।
PEKB खदान बढ़ाने के लिए जबरन काटे पेड़
प्रशासन ने 26 सितंबर की भोर में चार गांवों के दर्जन भर से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया। उसके बाद घाटबर्रा गांव के पास पेण्ड्रामार जंगल में 45 हेक्टेयर क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। विरोध कर रहे ग्रामीणों को रोकने के लिए वहां पुलिस बल का भारी बंदोबस्त किया गया था। बताया जा रहा है, पिछले 15 दिनों में उस पूरे इलाके में पेड़ों का काट दिया गया है। वन विभाग का कहना है वहां से 8 हजार पेड़ काटे गये हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि साल के बड़े-बड़े सैकड़ों पेड़ों को काटकर जमीन में भी दबाया जा रहा है। पेड़ों की यह कटाई परसा ईस्ट केते बासन-PEKB कोयला खदान के एक्सटेंसन के लिए की गई है।
खदानों के विरोध वर्षों से चल रहा है आंदोलन
हसदेव अरण्य क्षेत्र में खदानों के विरोध में वर्षों से आंदोलन चल रहा है। 2 मार्च 2022 से तो वहां लोग धरने पर बैठे हैं। घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन सिंह पोर्ते का कहना है, खदानाें का आवंटन ही गलत हुआ है। इसके लिए प्रभावित ग्राम सभाओं से जो सहमति दिखाई गई है वह फर्जी है। जिन तारीखों पर ग्राम सभा के प्रस्तावों का जिक्र है, उस दिन ग्राम सभा की बैठक में खदान से संबंधी किसी प्रस्ताव पर चर्चा तक नहीं हुई है। ग्रामीण इसकी लिखित शिकायत थाने से लेकर राष्ट्रपति भवन तक कर चुके हैं। उसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। पिछले साल दो अक्टूबर से ग्रामीणों ने पदयात्रा शुरू किया था। हम 300 किमी पैदल चलकर रायपुर पहुंचे। राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिले। हमें आश्वासन मिला कि उनके जंगलों को उजड़ने नहीं दिया जाएगा, लेकिन अब पेड़ों को काट दिया गया है।
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