कोरोना काल में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में हुई थीं, यहां तक कि पिछले साल भी छात्राें को घर बैठे पेपर देने का अवसर मिला था। इस सुविधा का किस तरह लाभ उठाया गया, इसे ऐसे समझिए कि पिछले साल छत्तीसगढ़ में पं. रविशंकर समेत 6 यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की वार्षिक परीक्षा के लिए 7 लाख 84 हजार छात्रों ने आवेदन किए थे।
रिजल्ट भी ऐसा आया कि जिन कक्षाओं में पहले 40 प्रतिशत तक छात्र ही पास हो पाते थे, उनमें 90-90 प्रतिशत तक पास हो गए। वजह यही थी कि काॅपी घर से बनानी थी। इस बार सारी परीक्षाएं ऑफलाइन होनी हैं। इसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी है। असर यह हुआ कि परीक्षार्थियों की संख्या जो हर साल बढ़ती थी, इस साल 1 लाख तक घट गई है।
भास्कर की पड़ताल में यह पता चला कि पिछली बार की वार्षिक परीक्षा में प्राइवेट छात्र बहुत अधिक थे। घर बैठे परीक्षा होने वाली थी, इसलिए कई ऐसे भी छात्र थे जिन्होंने पहले ग्रेजुएशन या पीजी कर लिया था और नंबर कम मिले थे, वह भी श्रेणी सुधार के लिए दोबारा फार्म भरकर परीक्षा में शामिल हो गए। कई ऐसे भी परीक्षार्थी थे, जो पांच-दस साल पहले पढ़ाई छोड़ चुके थे, ऑनलाइन एग्जाम में पास होने की संभावना ज्यादा थी इसलिए उन्होंने भी आवेदन कर दिया।
इस बार सेंटर में एग्जाम की घोषणा सत्र पहले ही कर दी गई थी। इसलिए इस बार श्रेणी सुधार व लंबी गेप वाले छात्रों के आवेदन कम मिले हैं। रविवि की वार्षिक परीक्षा के लिए पिछली बार 1 लाख 82 हजार फार्म मिले थे, इस बार 1 लाख 60 हजार मिले हैं यानी 22 हजार कम हैं। जबकि कोरोना काल से पहले तक यहां करीब डेढ लाख फार्म मिलते थे। दुर्ग विवि की वार्षिक परीक्षा के लिए तो पिछली बार दो लाख से भी ज्यादा फार्म मिले थे। इस बार 32 हजार छात्र कम हुए हैं।
इसी तरह सरगुजा व बस्तर विवि के लिए भी बड़ी संख्या में आवेदन मिले थे। पिछली बार बिलासपुर व रायगढ़ विवि की वार्षिक परीक्षा के लिए एक साथ आवेदन मंगाए गए थे। तब सवा दो लाख फार्म मिले थे। इस बार दोनों विवि में एक-एक लाख फार्म मिले हैं। इस लिहाज से इन दोनों विवि में छात्रों की संख्या 25 हजार तक कम हुई है।
इस साल रिजल्ट भी कमजोर होने की आशंका
रविवि की वार्षिक परीक्षा के नतीजे पिछली बार की तुलना में कमजोर रहने की संभावना है। पिछली बार जब छात्रों ने घर से पेपर लिखकर जमा किया था तो अधिकांश छात्र न सिर्फ पास हुए थे, बल्कि अच्छे नंबर भी मिले थे। इस बार ऑफलाइन परीक्षा की तैयारी थी। इसलिए छात्रों की तैयारी जांचने के लिए कई कॉलेजों ने टेस्ट लिया। इसमें ज्यादातर छात्रों ने कापियां खाली छोड़ी। कई छात्रों ने बड़े प्रश्नों के जवाब भी शॉटकट में दिए। कई के जवाब भी ठीक नहीं थे। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार की बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए समेत अन्य की वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट पिछले वर्ष की तुलना में कमजोर रहेगा।
सेकंड इयर और फाइनल में भी कम छात्रों ने भरे फार्म
ऑनलाइन मोड की परीक्षा में छात्रों ने घर बैठे पेपर लिखा था। वर्ष 2020 से लेकर 2022 तक की वार्षिक परीक्षा इसी मोड में हुई थी। घर से परीक्षा होने के कारण अधिकांश छात्र पास हुए। जो छात्र ग्रेजुएशन में दो साल घर से एग्जाम देकर फाइनल ईयर में पहुंचे इस बार केंद्र में परीक्षा होने के कारण इनमें से कईयों ने आवेदन ही नहीं किया।
सेकंड ईयर के भी कई छात्रों ने इस बार फार्म नहीं भरा। इसे लेकर जानकारों का कहना है कि घर से पेपर लिखने का अवसर मिला तो कई छात्रों ने गाइड व किताब खोलकर पेपर लिखा। इसमें कमजोर छात्र भी पास हो गए। लेकिन अब सेंटर में पेपर हो रहा है। इसलिए कमजोर छात्रों ने आवेदन नहीं किया। अगले साल वार्षिक परीक्षा के आवेदन में और कमी आएगी।
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