कलेक्टर-कमिश्नर का फोक डांस VIDEO:IAS कॉन्क्लेव में ग्रामीणों के भेष में अफसरों ने जमकर लगाए ठुमके, गेम्स में पूछा 'भाड़' कहां है

रायपुरएक वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक

रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय IAS कॉन्क्लेव में छत्तीसगढ़ प्रदेश के दिग्गज अधिकारी अपने जुदा अंदाज में नजर आ रहे हैं । प्रोटोकॉल, दफ्तर, दौरे, निरीक्षण में मशगूल रहने वाले IAS अफसर लाइट मूड में दिखे। शुक्रवार की रात आईएएस कॉन्क्लेव में कल्चरल नाइट का आयोजन किया गया। यहां IAS अफसर नाचते-गाते नजर आए।

सरगुजा के कलेक्टर सरगुजा संभाग के कमिश्नर जीआर चुरेंद्र और कलेक्टर संजीव झा इस मौके पर सरगुजिया अवतार में दिखे। सरगुजा की लोकधुन, हाय रे सरगुजा नाचे... गीत पर अधिकारियों मंच पर परफॉर्मेंस दी। कलेक्टर संजीव झा ने अपने गले पर मांदर लटका रखा था। डांस कर रहे सभी अधिकारियों ने धोती, कमीज और पीली पगड़ी फूलों के साथ लगा रखी थी। गोल घेरा बनाकर यह सरगुजिया डांस करते नजर आए। दूसरे अफसरों में जिनमें महिलाएं भी थीं, उन्होंने अलग-अलग प्रस्तुति दी। किसी ने गाना गाया तो किसी ने नृत्य किया। पूरी शाम रंगारंग आयोजन होते रहे।

इस दौरान क्विज और गेम्स भी हुए, जिसमें सवाल था भाड़ किस राज्य में है?
इस दौरान क्विज और गेम्स भी हुए, जिसमें सवाल था भाड़ किस राज्य में है?

भाड़ में जाओ वाला सवाल
अक्सर लोग बातचीत में उक्ताकर कह देते हैं कि भाई भाड़ में जाओ। मगर क्या आप जानते हैं कि भारत के एक राज्य में ऐसी जगह है जिसका नाम असल में 'भाड़' है। आईएएस अफसरों के इस कार्यक्रम में इंटरेस्टिंग गेम सेक्शन में इससे जुड़ा हुआ एक सवाल पूछा गया। सवाल था कि भारत के किस राज्य में एक जगह है जिसका नाम है भाड़। दरअसल यह गुजरात के अमरोली जिले का एक छोटा सा गांव है। इंटरेस्टिंग क्विज कॉम्पिटिशन में आईएएस अफसरों और उनके परिजन हिस्सा लेते दिखे।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को छतीसगढ़ी कहावत सुनाई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को छतीसगढ़ी कहावत सुनाई।

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी में सुनाई कहावत
इससे पहले दिन के ऑफिशियल कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर करने को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ के गांवों की आर्थिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए एक छतीसगढ़ी कहावत अधिकारियों को सुनाई। उन्होंने कहा- बोलइया के जिल्लो बेचा जाथे, अउ नई बोलइया के चना घलो नई बेचाये अर्थात जिन्हें व्यवसाय की कला आती है, उनका छोटा सा सामान भी बिक जाता है और जो इस कला से अनभिज्ञ हैं वे अपना कीमती सामान भी नहीं बेच पाते हैं। उन्होंने ये बातें गांव के उत्पादों की मार्केटिंग को लेकर कही। उन्होंने कहा कि गांव की चीजों को अच्छा बाजार मिले, इस पर अफसरों को ध्यान देना चाहिए। 16 तारीख शनिवार की दोपहर इस कॉन्क्लेव का समापन हो जाएगा।

खबरें और भी हैं...