देश में मानसून आने का ऐलान हो चुका है। इधर, छत्तीसगढ़ में भी बादल मंडराने लगे हैं। रविवार को दोपहर का तापमान जरूर 43 डिग्री के आसपास था, लेकिन दोपहर के बाद शाम होते तक बादलों ने सूरज की तपिश को कम कर दिया, तेज हवाएं चलीं और कई इलाकों में बूंदाबांदी हुई।
इससे तापमान गिरा। छत्तीसगढ़ में आए बादल संदेश दे रहे हैं कि जल्द ही बरसात प्रदेश में दस्तक देगी। यह तस्वीर रायपुर के महादेवघाट की है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जगदलपुर में 10 जून, रायपुर में 15 और अंबिकापुर में 21 जून तक मानसून के पहुंचने की संभावना है। अर्थात, सारी परिस्थितियां ठीक रहीं तो 15 से 21 जून तक पूरे छत्तीसगढ़ में बादल बरसने लगेंगे।
छत्तीसगढ़ में इस साल लू से एक भी मौत नहीं हुई
राज्य में इस साल लू एक भी मौत नहीं हुई है। लू से हर साल औसतन चार-पांच या कभी कभी इससे ज्यादा मौतें हो जाती थीं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला का कहना है कि कोविड के साथ बाकी बीमारियों और महामारी के संबंध में सभी जिलों के कलेक्टरों को अलर्ट कर दिया गया था। उसी का परिणाम रहा कि लू से मौत नहीं हुई।
केरल में बीते दो दिनों से हो रही है बारिश
अनिरुद्ध शर्मा. नई दिल्ली| केरल में बीते दो दिनों से बारिश हो रही है। इसे देखते हुए निजी मौसम एजेंसी ‘स्काईमेट’ ने रविवार दोपहर मानसून के केरल पहुंचने का एेलान कर दिया। हालांकि मौसम विभाग ने कहा कि मानसून अभी भारतीय भू-भाग पर नहीं पहुंचा है। तटीय इलाकों में हो रही बारिश मानसून-पूर्व की है। मानसून तीन जून तककेरल पहुंच सकता है।
केरल में बीते दो दिनों से हो रही है बारिश
अनिरुद्ध शर्मा. नई दिल्ली| केरल में बीते दो दिनों से बारिश हो रही है। इसे देखते हुए निजी मौसम एजेंसी ‘स्काईमेट’ ने रविवार दोपहर मानसून के केरल पहुंचने का एेलान कर दिया। हालांकि मौसम विभाग ने कहा कि मानसून अभी भारतीय भू-भाग पर नहीं पहुंचा है। तटीय इलाकों में हो रही बारिश मानसून-पूर्व की है। मानसून तीन जून तककेरल पहुंच सकता है।
जरूरी मानक पूरे हाेने का इंतजार: माैसम विभाग
विभाग के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘10 मई के बाद ‘ताऊ ते’ तूफान अरब सागर से गुजरा। तब लक्षद्वीप, केरल, कर्नाटक के तटीय इलाकों में 2.5 मिलिमीटर से 100-150 गुना ज्यादा (20-30 सेमी) तक बारिश दर्ज हुई थी। रेडिएशन भी काफी नीचे आ गया था। तब क्या हमें केरल में मानसून आने की घोषणा कर देनी चाहिए थी। विभाग मानकों का उल्लंघन नहीं कर सकता।
पिछले साल 16 जून को छग में
पिछले साल मानसून 11 जून को बस्तर में दाखिल हो गया था। यही नहीं, बेहद तेजी से 16 जून तक मानसून के बादल पूरे प्रदेश में छा गए थे और बारिश शुरू हो गई थी। इस बार भी कुछ इसी तरह के हालात बन रहे हैं। एक समानता यह है कि पिछले साल भी इसी समय करीब डेढ़-दो माह का लाॅकडाउन हो चुका था, इस बार भी लाॅकडाउन चल रहा था, भले ही यह कुछ पहले खत्म हो जाएगा।
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