रेलवे के अध्ययन में हाल ही में एक चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। पिछले पांच साल में बिलासपुर जोन के अंतर्गत 4003 लोगों ने ट्रेन से कटकर अपनी जान दी है। हालांकि इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी गलती से अपनी जान गंवा बैठे, लेकिन आत्महत्या करने के मामले बहुत ज्यादा हैं। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर की उम्र 20 से 35 साल के बीच है। मनोवैज्ञानिक हाल ही के सुसाइट के ट्रेंड को देखते हुए कह रहे हैं कि युवाओं में धैर्य अब कम होता जा रहा है। मंजिल हासिल नहीं होने पर वे डिप्रेशन में आ रहे हैं और गुस्से में गलत कदम उठा रहे हैं।
पांच साल में ट्रेन से कटकर कितनी हुई मौत
सन - मौतें
2018 - 818
2019 - 909
2020 - 589
2021 - 863
2022 - 824
अज्ञात लाश पर 5000 खर्च
हर अज्ञात लाश के पीछे रेलवे को पांच हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जीआरपी के मुताबिक अज्ञात शव मिलने पर उसे घटनास्थल से लाने व पोस्टमार्टम के साथ-साथ उसका बिसरा रखने से लेकर अज्ञात शव का दाह संस्कार करने के लिए मात्र पांच हजार मिलता है। कई बार इस खर्चे के लिए भी पैसे नहीं मिलते।
25 फीसदी आवेश में रहते हैं
रायपुर मेडिकल कॉलेज के एचओडी साइक्रेटिस्ट डॉ. मनोज साहू का कहना है कि आत्महत्या करने वालों में 25 प्रतिशत आवेश में घटना को अंजाम दे रहे हैं। युवा कम समय में सब हासिल करना चाहते हैं। धैर्य नहीं है। हेल्पलाइन जारी करना चाहिए, जिससे आत्महत्या करने से रोका जा सके। काउंसिलिंग की जा सके।
ट्रेन से कटकर और गिरकर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। इसमें ज्यादातर केस आत्महत्या के सामने आ रहे हैं। रेलवे समय-समय पर यात्रियों को जागरूक करता रहता है। -संजय कुमार गुप्ता, कमांडेंट रायपुर रेलवे मंडल
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