छत्तीसगढ़ में चावल औैर मक्के से एथेनॉल बनाने के लिए अब पर्यावरण मंडल औैर प्रदूषण बोर्ड से स्वीकृति लेने अब चक्कर लगानेे की जरूरत नहीं होगी। दरअसल केन्द्र सरकार ने एथेनाल प्लांट लगाने के लिए अब पर्यावरण मंडल औैर प्रदूषण बोर्ड से स्वीकृति लेने के नियम में बदलाव किए हैं।
दरअसल ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में बदलाव किया गया है। यह नियम केवल एथेनाल मिश्रित पेट्रोल(ईबीपी) कार्यक्रम में ही लागू होगा। प्लांट लगाने के लिए एक शपथ पत्र देना होगा। ग्रीन एनर्जी की दिशा में केन्द्र ने साल भर पहले ही वैकल्पिक इंधनों की तलाश शुरू की थी। एथेनॉल के उत्पादन व उपलब्धता में कमी इसमें बड़ी बाधा बन रही थी। नए अधिनियम के तहत एथेनॉल बनाने के लिए चावल, मक्का, गेहूं, जौ औैर ज्वार फसलों का ही उपयोग किया जा सकेगा। स्वीकृति के लिए 31 मार्च 2024 के पहले आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
श्रेणी ख-दो में किया गया शामिल
केन्द्र सरकार ने अधिनियम में बदलाव करते हुए श्रेणी ख-2 के अधीन रखा है। जिसके तहत साल 2025 तक पेट्रोल में एथेनाल के 20 फीसदी मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने का फैसला किया गया है। प्लांट लगाने के लिए होने वाली प्रक्रिया में एक साल का समय लगता था लेकिन अब प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
छत्तीसगढ़ के छह स्थानों पर लगेंगे प्लांट
छत्तीसगढ़ में सरप्लस चावल से एथेनॉल बनाने के लिए राज्य सरकार ने पहले से तैयारी कर रखी है। सरकार के साथ छह अलग-अलग कंपनियों ने एमओयू किया है। बालोद, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, बलौदाबाजार और जांजगीर-चांपा जिलों में ये प्लांट लगाए जाएंगे।
क्या होता है एथेनॉल
एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे शर्करा वाली फसलों से भी तैयार किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनो ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है। एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि एथेनॉल फ्यूल हमारे पर्यावरण और गाड़ियों के लिए सुरक्षित है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.