छत्तीसगढ़ में वन विभाग ने तेंदूपत्ता इकट्ठा करने के काम में लगे लोगों की मजदूरी नकद देने की शुरुआत की है। यह बस्तर संभाग के चार जिलों में शुरू हो रहा है। वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने विशेष भौगोलिक स्थिति और कोरोना संक्रमण का खतरा कम करने के नाम पर यह आदेश जारी किया है।
प्रमुख सचिव ने नारायणपुर, कांकेर, सुकमा और बीजापुर जिलों में मजदूरी के नकद भुगतान का आदेश जारी किया है। उनके मुताबिक कोरोना के फैलाव को देखते हुए संग्राहकों के बार-बार बैंक आने से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा। वहीं लॉकडाउन की वजह से बैंक की सेवाएं भी नागरिकों के लिए बंद हैं। ऐसे में तेंदुपत्ता मजदूरी के नकद भुगतान की अनुमति दी जाती है। प्रमुख सचिव ने जिला कलेक्टर को अपनी निगरानी में यह भुगतान सुनिश्चित कराने को कहा है।
बताया जा रहा है, बीते दिनों वन मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, विधायक मोहन मरकाम, विक्रम शाह मंडावी, देवती कर्मा और चंदन कश्यप आदि ने मुख्यमंत्री से तेंदूपत्ता पारिश्रमिक का नगद भुगतान कराए जाने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक ने इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा। वन मंत्री मोहम्मद अकबर की सहमति मिलने के बाद प्रमुख सचिव ने आदेश जारी कर दिया।
4 हजार रुपया मानक बोरा है दाम
प्रदेश के वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता की तोड़ाई एक प्रमुख रोजगार है। लघु वनोपज संघ इसे 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा की दर से खरीदते हैं। यहां से इसे व्यापारियों के नीलाम किया जाता है। अभी तक यह भुगतान संग्राहकों के बैंक खाते में होता रहा है। अब चार जिलों के लिए व्यवस्था बदली जा रही है।
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