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जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लग चुकी है, ऐसे लोग कोरोना से गंभीर नहीं होंगे इसलिए मौत की आशंका कम हो गई है। राजधानी में जिन लोगों ने भी दो डोज लगवाए हैं, अधिकांश को शुरुआती साइड इफेक्ट के बाद दो महीने से सर्दी-खांसी तक नहीं हुई है। डाक्टरों का दावा है कि कैंसर व दूसरी गंभीर बीमारियों में वैक्सीन प्रभावी साबित हो रही है।
राजधानी के कुछ डाक्टरों ने ऐसे लोगों से फोन पर फीडबैक लिए हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दो डोज लगवा ली है। ऐसे लोगों में कैंसर, लीवर, किडनी व दूसरी गंभीर बीमारियों वाले शामिल हैं। इन लोगों का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के दौरान हल्का दर्द व बुखार हुआ, जो सामान्य साइड इफेक्ट है। उसके बाद से अब तक कुछ नहीं हुआ।
प्रदेश में 16 जनवरी को टीके लगाने का दौर शुरू हुआ था। ऐसे लोगों को दूसरी डोज 12 फरवरी को लगी। सबसे पहले हेल्थ वर्कर व इसके बाद फ्रंट लाइन वर्कर को टीके लगाए गए। भास्कर की पड़ताल में पता चला कि दो डोज लेने वाले लोगों को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं हुई है। डॉक्टरों से बातचीत में इस बात की पुष्टि हुई कि टीके पूरी तरह सुरक्षित है।
डॉक्टरों, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ से डॉक्टरों ने बात की है। वे वैक्सीनेशन के बाद लगातार ड्यूटी भी कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं हुई है। मेडिकल कॉलेज के सीनियर फैकल्टी डॉ. अरविंद नेरल व डॉ. एस फुलझेले ने जनवरी व फरवरी में टीके लगवा लिए थे।
उनका कहना है कि जब से टीके लगवाए हैं, उन्हें सर्दी, खांसी या बुखार नहीं हुआ है। दो डोज लगवाने के 14 दिन बाद एंटीबॉडी बननी शुरू हो जाती है, जो कोरोना से पूरी तरह बचाव करता है। जो लोग टीके लगाने में आनाकानी कर रहे हैं, उन्हें तत्काल टीके लगवाने चाहिए, जिससे कोरोना का संक्रमण रोका जा सके।
दोनों डोज वाले 4 ही पाजिटिव
कोरोना वैक्सीन लगाने वाले प्रदेश में चार लोग कोरोना पॉजिटिव आए हैं। जांजगीर-चांपा कलेक्टर यशवंत कुमार दूसरी डोज लगवाने के तीसरे दिन संक्रमित हुए। इसके अलावा तीन और लोग लापरवाही के कारण पॉजिटिव आए हैं। श्री नारायणा अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका व बालाजी के डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र नायक का कहना है कि उनके अस्पताल में ऐसे मरीज आए हैं, जिन्होंने दो डोज लगवा लिए हैं। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं हुई। लीवर व किडनी के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वैसे ही कम होती है।
70 से 80 फीसदी असरदार
प्रदेश में दो कंपनियों कोविशील्ड व को-वैक्सीन के टीके लग रहे हैं। को-वैक्सीन 15 मार्च से लगनी शुरू हुई है। कोविशील्ड 70 से 80 फीसदी व को-वैक्सीन 81 फीसदी प्रभावी होने का दावा कंपनियों का है। इसका मतलब ये है कि दो डोज लगवाने वालों को कोरोना होने की संभावना कम रहेगी। सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ. शारजा फुलझेले व हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल का कहना है कि एंटीबॉडी बनने के बाद कोई कोरोना से गंभीर नहीं होगा। अगर कोरोना हुआ तो भी लक्षण हल्के रहेंगे और इलाज के कुछ दिनों बाद ठीक हो जाएंगे।
टीके के साइड इफेक्ट नहीं है। खुद व कई डॉक्टरों ने दो डोज लगवा लिए हैं। एंटीबॉडी बनने से निश्चित ही कोरोना का संक्रमण कम होगा। जो मरीज आ रहे हैं, वे नए हैं।
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी
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