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रायपुर में शनिवार को छत्तीसगढ़ के 30 किसान संगठन की तरफ से चक्काजाम किया गया। यह चक्काजाम दिल्ली और यूपी के आस-पास चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में था। रसनी टोल नाके पर किसान नारे बाजी करते हुए सड़क पर उतर आए। वहां जाम लगा दिया गया। इस जाम में ओडिशा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र जा रहे सैंकड़ों ट्रकों के पहिए थम गए। इन ट्रकों के ड्राइवरों ने भी किसानों की मांगों को जायज ठहराया। करीब 3 घंटे तक चले जबरदस्त हंगामे के बाद रास्ता खोल दिया गया। दिल्ली की तर्ज पर हाइवे पर ही लंगर का आयोजन हुआ। इसमें कुछ ट्रक ड्राइवर भी प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बैठकर खाना खाते दिखे।
सरकार को ध्यान देना चाहिए
ट्रक लेकर पुणे जा रहे निलेश पाटिल ने बताया कि वो कटक से रवाना हुए थे। अहमदनगर के रहने वाले निलेश ने बताया कि किसान बहुत दिनों से परेशान हैं। सरकार को इनकी तरफ ध्यान देना चाहिए। कुछ दिन पहले भी इसी तरह का जाम किया गया था, मगर तब भी हल नहीं निकला। किसान ही अन्न पैदा करता है तो हम खाते हैं। उसकी तकलीफ को दूर करना चाहिए। मैं दो घंट से इस जाम में फंसा हूं लेकिन मैं किसानों के इस प्रदर्शन को सही मानता हूं, सरकार को इनकी तरफ ध्यान देना चाहिए।
50 किलो आटे की पूरियां
रसनी टोल नाके पर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की तर्ज पर सड़क पर ही लंगर का आयोजन किया गया। आस-पास की गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों और कुछ ढ़ाबा संचालकों ने इस लंगर में अपनी तरफ से अनाज, सब्जी पहुंचाकर अपना सर्मथन प्रदर्शनकारियों को दिया। बंद पड़े टोल नाके के पास पूरी तलियां जा रही थीं, और गुरुनानक देव जी को याद करते हुए प्रदर्शनकारी खाना खाते नजर आए। लंगर में कई घंटों से जाम में फंसे कुछ ट्रक ड्राइवरों ने भी खाना खाया। लंगर की व्यवस्था संभाल रहे सुखदेव सिंह सिद्धु ने बताया कि हमने किसानों के लिए भोजन की व्यवस्था की है। करीब यहां 1 क्विंटल 30 किलो चावल पकाय गया है, 50 किलो दाल बनी है 50 किलो आटे से पूरियां बनी और आरंग के एक ढाबा संचालक ने गोभी की सब्जी भिजवाई ।
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