चिटफंड कंपनी के नाम पर करीब 500 लोगों से ठगी करने वाले आरोपी को रायपुर पुलिस ने फिल्मी स्टाइल में दबोचा है। रायपुर पुलिस भेष बदलकर कोलकाता गई और वहां से ठग को पकड़कर लाई। 2016 से पुलिस को इसकी तलाश थी। गिरफ्तार हुए चिटफंड कंपनी के मालिक का नाम गौरंगो राय है।
पुलिस ने कोलकाता में यूं बिछाया जाल
गौरंगो राय को मंगलवार को पुलिस कोलकाता से रायपुर ले आई। जांच टीम को इसके पश्चिम बंगाल में छिपे होने का इनपुट मिला था। रायपुर के तेलीबांधा थाने से इंस्पेक्टर सोनल ग्वाला और सायबर सेल से 6 लोगों की टीम कोलकाता रवाना हुई। यहां चौबीस परगना में पहुंचकर आरोपी के बारे में जानकारी जुटाई गई। टीम को पता चला कि कोलकाता में गौरंगो नाम बदलकर एक कंपनी में काम कर रहा है।
इसके बाद पुलिस के लोगों ने फॉर्मल कपड़ों में सेल्स, मार्केटिंग के एजेंट का रूप रखा। एक फर्जी कंपनी में काम करने की झूठी कहानी सुनाकर पुलिस उसी कंपनी के बाहर मंडराती रही जहां गौरंगो काम कर रहा था। पुलिस ने एक कंपनी में निवेश और सेल्स डील की बातों में उलझाकर गौरंगों से मुलाकात की। जब पुलिस को ये पुख्ता हो गया कि गौरंगो उनकी बातों में फंस रहा है तो टीम उसे अकेले मिलने बुलाया। इसके बाद इसी वहीं से गिरफ्तार कर टीम रायपुर ले आई। 7 दिनों तक रायपुर के पुलिसकर्मी सेल्स मार्केटिंग के एजेंट बने घूम रहे थे।
भांजा है असल मास्टरमाइंड
गौरंगो का भांजा संदीप पेराई इस पूरे कांड का असल मास्टरमाइंड है। उसने ही रायपुर में वसुंधरा रियलकॉन लिमिटेड नामक चिटफंड कंपनी शुरू की। तेलीबांधा इलाके में इसका दफ्तर था। रायपुर और आसपास के जिलों से 500 लोगों से रुपए वसूले। वादा किया कि कुछ महीने बाद रकम को दो गुना, डेढ़ गुना करके लौटाएंगे। जब पैसे लौटाने के बारी आई तो यह लोग दफ्तर बंद करके भाग गए।
पुलिस को खबर मिली है कि संदीप ने इन करोड़ों रुपयों से जमीनें और दो बड़े होटल खरीदे हैं। अब इस प्रॉपर्टी को कुर्क करने की कार्रवाई की जा रही है, संदीप का भी पता लगाया जा रहा है। पुलिस को उम्मीद है मामा के बाद जल्द ही भांजा भी गिरफ्त में होगा।
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